Book Title: Vedant Chintamani
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________________ 17 वे-चि.वस्थया // 37 // अवाहःशंकराचार्यानिराकारंपरंभवेत् // गुणक्रियाविशेषाणामत्यंताशाववन्मतं // 38 // तन्मात्र योपहितंसत्स्यादीश्वरःशबलाभिधः।मायासंबंधतःकतीभोक्तास्यश्रुतिभिःकृतः॥३९॥तदुपाधिगतधर्माद्यत्राध्यारोपयंति।। ताः॥वस्ततोऽपवदन्त्येतानिर्विशेषेनिषेधिकाः॥४०॥अध्यारोपापवादाभ्यांश्रत्योःस्यात्संगतियोः।लोकप्रदर्शनायेन्दो थाशाखापिदय॑ते // 41 // ज्ञानार्थचित्तशुद्धर्थोपास्तयेप्रथमंतथा // निरूप्यतेसधर्मत्वंजातेज्ञानेनिषिध्यते // 42 // इतिचेच्छ्रयतांमायासादिःसाऽनादिरेववा // आयेक तुकोब्रह्मातिरिक्ताभावतः परं // 43 // कर्तृत्वंनिर्विशेषस्यपुनः प्राप्नंद्वितीयके // द्वैतापत्तिःसंदेवेतिप्रभृतिश्रुतिबाधनं॥४४॥ ब्रह्माप्यनायनादिःसोपहितस्याप्यनादिता // सर्गोऽविरतमेव स्यान्नजातुप्रलयोभवेत्।।४ ५॥नित्यबद्धं भवेद्ब्रह्ममुक्तिस्तन्नाशनेयदि // श्रूयतक्कापितस्यापिजीववन्मुक्तिसाधनं // 46 // व्यासाचाय्यै प्रतिज्ञायनिर्गणस्यविचारणं // अथातोब्रह्मजिज्ञासेत्यत्रैतस्यैवलक्षणं // 47 // जन्माद्यस्ययतःशास्त्रयो नित्वादितिकथ्यते // प्रतिज्ञोपक्रमौभगौस्फुटव्यासस्यतेमते॥४८॥ निषेधत्येवकर्तृत्वप्रकत्युपहितस्यत / / गौणश्वेन्ना त्मशब्दादित्यादिनासूत्रकत्वयं // 49 // नसोऽकामयतेत्यादिरूपिताःकामनादयः // संभवंतिजडायानिर्धर्मत्वाद्ब्रह्मणो) 1 सविशेषनिर्विशेषवादितयाद्विविधयोः 2 ज्ञानसंपादिकाचित्तशुद्धिः तसंपादिकाचोपासना 3 निविशेषब्रह्मैवकर्तृस्यादिन्यर्थः 4 एकं 17 नवलपरामायेतिद्वैत ५सदेवसौम्येदमग्रआसीत् आत्मेवेदमपआसीत् आत्मावाइदमेकएवापासीदित्यादीनांसृष्टेः माग्वस्त्वंतरसत्तानिषेधक श्रुती-1 नांविरोधः 6 भबलाख्यापन * उपाधिभूतायामायायाः

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