Book Title: Vedant Chintamani
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________________ // 50 // // इतिश्रीवेदांतचिंतामणौजीवांतर्यामिस्वरूपविवेकपूर्वकशुद्धाद्वैतार्थनिरूपणंनामअष्टमंप्रकरण।। // 8 // स्वाभिन्नाऽप्रारुतैर्धम्मैःश्रितंसविरोधिभिः॥शक्तिभिस्तादृशीभिस्तं वंदेनिर्दोषमद्वयं ॥१॥अप्राकताखिलाकारःश्रुति भिःप्रतिपाद्यते / माहात्म्यायस्फुटंभक्त्यैप्रारुतंतुनिषिध्यते // 2 // यत्पांचभौतिकंतस्येच्छयाषड्भावदर्शनं // मितं नियत कार्यंचतत्प्रारुतमुदात्त।। 3 ॥यथादेहोऽस्मदादीनांपंचभूतेभ्यउस्थितः।।अस्मिञ्जायतइत्याद्यादृष्टाविरुतयोऽपिषट् // 4 // मलिनोऽन्यनियम्यश्चमितःसाबितस्तिभिःश्रवसाश्रूयतेमानंदृश्यतेमात्रमीक्षया॥५॥नित्याधर्मानिजाऽजिन्नाःसर्वेसर्वत्र / / तस्यतु / / सर्वकामःसर्वरसइतिच्छांदोग्यरूपणात् // 6 // विश्वतश्चक्षुरुतविश्वतोमुखोविश्वतोबाहुँरुत विश्वतस्पात् // सं बाहुभ्यांधमतिसंपतत्रैवामीजनयन्देवएकः // 7 // सहस्रशीर्षापुरुषःसहस्राक्षःसहस्रपात् // सर्वतःपाणिपादांतमि तिश्रुत्यादयोऽवदन् // 8 // सर्वत्रसन्द्रियाणांतस्यतत्कार्य्यमीर्य्यते / सर्वज्ञस्याखिलंज्ञानंसर्वकर्तुःक्रियाखिला // 9 // नपांचभौतिकंतानिसर्गार्थसस्तोव्यधात् / / अजवादमृतत्वाच्चाविकारित्वान्नविकियाः॥ 10 // (स्कंध 8) त्वंब्रह्मपू ममृतंविगुणविशोकमानंदमात्रमविकारमनन्यदन्यत् // विश्वस्यहेतुरुदयस्थितिसंयमानामात्मेश्वरश्वतदपेक्षतयानपेक्षः 1 स्वाभिन्नाभिरपाकृतीभिः 2 माहात्म्यज्ञानपूर्वकसुदृढस्नेहस्यैवभक्तित्वं 3 जायते / अस्ति / वर्द्धते / अपक्षीयते / विपरिणमते / नश्यति FR1 परिच्छिन्नं 5 हस्त 6 मति 7 पृथ्वी 8 दर्शनादिकं 9 चाक्षुषादिः 10 गमनादानादि:११ भगवतोहस्तादिकं अस्मदादिवत्पांचभौतिक त तस्यानादित्वात् महाभूतानांच सृष्टिकालएवाविर्भूतत्वात् 12 स्वस्वरूपात विरुद्धःकार्यकारणभावइत्याशयः 13 जायतइत्यादयः F

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