Book Title: Vedant Chintamani
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________________ सदा // सच्चिदानंदरूपंचपूर्णनिर्बाधमक्षयम् // यचकिचिजगत्सर्वदृश्यतेश्रूयतेऽपिवा // अंतर्बहिश्चतत्सर्वव्याप्यनाराय। मणःस्थितः // 3 // सत्यं विज्ञानमानंदंब्रह्मपूर्णमदःश्रुतेः // सर्वक्रियाभिःसर्वत्रनित्यैर्धम्मैस्तथाखिलैः॥ 4 // सर्वतःपाणि पादांतंसर्वतोक्षिशिरोमुखं॥ सर्वतःश्रुतिमल्लोकेसर्वमारत्त्यतिष्ठति // 5 // माययासर्वतःसांशंस्वशत्याचित्यरूपधृत् // त स्याप्रतिहतेच्छस्यबद्वत्वेच्छोदिताभवत् // 6 // साबहुस्यांप्रजायेयेत्यादिश्रुत्यादिसंमता // तदेच्छयाप्रदेशेतदुगमार्थति तिरोदथे // 7 // सृष्टिकालेतएवांताःपरिच्छेदानिरूपिताःतथाहंततिरोसानीत्यादिवाक्यनिरूपितं // 8 // काण्वायुपनि पत्स्वतत्तथास्मृतिपुराणयोः // विभक्तिरप्रतय॑स्याविभक्तस्यापियुज्यते // 9 // अविभक्तं विभक्तेषुविभक्तमिवचस्थि नं / / चित्प्रधानाःपरिच्छिन्नाअंशाव्युदचरंस्ततः // 10 // जीवाःक्षुद्राविस्फुलिंगाःसुदीप्तात्पावकायथा // मुंडकोपनिष स्वेषदृष्टांतोन्यत्रचोदितः // 11 // द्वितीयमुंडके (खंड 1 ) तदेतत्सत्यं यथासुदीप्तात्पावकाद्विस्फुलिंगाःसहस्रशःप्रभ वसरूपाः / तथाक्षराद्विविधाःसोम्यक्षावाःप्रजायंतेतचैवापियंति // 12 // छांदोग्ये / / यथासुदीप्तात्पावकाक्षुद्रावि स्फुलिंगाव्यच्चरंत्यवंतस्मादात्मनःसर्वेप्राणाःसर्वेलोकाःसर्वेजीवा:सर्वएवात्मानोव्यच्चरंतिरमणीयचरणाःकुयचरणाइति // 13 // सर्वेन्तर्यामिणोजाताआनंदांशस्वरूपतः // सदंशेनजडायेभ्यःकतादेहाअनेकधा // 14 // तिरोभावय दानंदजीवतंचंचितंजडे // आनंदांशतिरोधानान्निराकारावभावपि // 15 // चतुर्भजादितयोस्तादग्भगवदारुतिः||आ 1 पुण्यचारत्राः 2 पापचरित्राः 3 पंचभूतप्रभृतयः 4 आनंदांशं 5 चिदंशं 6 जडजीवौ

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