Book Title: Vedant Chintamani
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Page 30
________________ बेचियएवसः॥ तन्निवृत्त्यामतामुक्तिदेहादिस्तुनसंसृतिः // 46 // नैवात्मनोनदेहस्यसंमृतिःसुविविक्तयोः // अविवेकस्तयोर्यो / सावथतस्यैवसंसृतिः // 47 // एकादशस्याष्टाविंशइतिभेदनरूपणात् // दहादेःसंसृतित्वेतुजीवन्मुक्तिर्नयुज्यते॥ 48 // प्रत्यक्षएवदेहादिर्मक्तस्यापितुजीवतः // सतिसंसरणेमुक्तिःकुतःशास्त्रविरोधिनी॥ 49 // तस्मादहंतादेहादावध्यासाभा वतोनहि // ममताहंत्वमलाततन्नित्त्यानिवर्तते // 50 // आत्मलातुविद्यातोमुक्तोजीवनभविष्यति // देहसंसार दो तःसिद्धांतःश्रुतिसंमतः / / 51 // सम्यकप्रकारसरणस्वरूपाच्यवनंदृढं // ब्रह्मांशस्यान्यथाभावस्तसंसरणमुच्यते // 52 // असत्यासंमृतिःसत्यःप्रपंचइतिनिर्णयः // ऐंद्रजालिकवत्स्पष्टंसाऽसत्यापिप्रतीयते // 53 // जीवायस्यस्वांशानप्रतिबि / / बानचाभासाः // यत्कृतसंसरणास्तच्चरणंशरणंव्रजामिअवतरणं // 54 // ॥इतिश्रीवदांतचितामणौजीवोद्गमस / सारनिरूपणंनामसप्तमंप्रकरणं // 7 // // 7 // // // // // // // जीवांतर्यामिणोस्वांशावणुकौभोक्तसाक्षिणी / येनांतःस्थापितौज्ञाज्ञौनमस्तस्मैकपालवे // 1 // मुंडकोपनिषदिद्वासुप सयुजासखायासमानंदकंपरिषस्वजाते।एकस्तयोःपिप्पलं स्वाद्वत्त्यनश्नन्नन्योअभिचाकशीति॥ २॥एकादशस्कंधे।।। पर्णावतीसहजौसखायौयदृच्छयाकतनीडौचरक्षे // एकस्तयोःखादतिप्पिपलान्नमन्योनिरन्नोऽपिबलेनभयान्॥३॥ भि 1 नौप्रतिशरीरंतावेकैकस्मिन्द्वयोरपि // प्रवेशाद्धंसरूपेणदृदिनागवतेयथा ॥४॥(स्कंध४)॥हंसावहंचत्वंचार्यसखायौ 1 अध्याये

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