Book Title: Vedant Chintamani
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Page 32
________________ 14 | वे-चि. कास्थितैकत्राशिव्यामोतिस्वगंधतः // देशमहांतदेहंसचैतन्येनतथाखिलं // 17 // व्यासोविसर्पिगुणतां( अ० 2 पा०३/०८ सू०२५) गुणाद्वाऽऽलोकंवत्तथा // (अ०३पा. 3 सू०२६) व्यतिरेकोगंधवच्चेत्यादिदृष्टांततोऽवदत्॥१८॥शांकरास्ता किकाजीवमेकव्यापकमालपन् / / जीवकत्वेसर्वमुक्तिरेकमुक्त्याभविष्यति।। १९||सतिबंधेनैवमोक्षायात्येकःपुण्यतोदिवं॥ अन्यःपापेननरकमितिश्रौतनयुज्यते // 20 // सर्वेजीवाबहुवचःश्रुत्युक्तंचविरुत्थ्यते // व्यापकस्योगमनैवनोपार्जीवक / Pल्पनात् // २१॥यत्प्रयंतीतिजीवानांप्रलयोनेहसंभवेत् // ज्ञानात्तत्रप्रवेशोऽपिविशतेतदनंतरं // 22 ॥किचजीवःस्वत / बोवाब्रह्मैवोपहितंतथा // आयेद्वैतंबंधमोक्षौनापिब्रह्मात्मताभवेत् // 23 // नस्यात्कस्यापिमरणंब्याने वस्यतादृशः॥ Fil द्वितीयेतुर्नतयाप्तिःकिंतुस्याद्ब्रह्मणोहिसा // 24 // आकाशव्यापकंव्याप्तिर्घटाकाशस्यनक्वचित् // उपाधिनाशोमोक्ष श्वेज्जीवनाशःसकथ्यतां // 25 // सर्वज्ञनिर्गुणंपूर्णब्रह्मबद्धमुपाधिना // तदेवोपाधितोमुक्तंसाधनविप्लबोमहान्॥२६॥ उकांतिगत्यागतयोवेदसूत्रादिसंमताः // व्यापकस्यनयज्यरंश्वेदुपाधेःप्रवेक्षिताः // 27 // तंप्राणोऽनकामतीतिश्रुति सस्तहिविरुत्थ्यते // श्रुतेःस्मृतेश्वसूत्राणांनव्याप्तिस्तस्यसमता // 28 // नित्यःसर्वगतस्थाणुर्ब्रह्मसर्वत्रयद्गत।। सहतिष्ठति 14 1 आलोकः प्रकाशः प्रकाशकद्रव्यंवा 2 उपाधेरेवोद्गमइतितुनवक्तुं शक्यं तस्यत्वन्मतेजीवश्रांतिकल्पितन्वात् 3 देहल्येदोपकपदस्योभयसंबंधः 1 जीवस्यध्यापकता 5 अभ्यापा० 3 उकांतिगत्यागतीनामिधिकरणेमसिद्धाः वदसि जीवस्य

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