Book Title: Vedant Chintamani
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Page 31
________________ - मानसायनौ // गुहांप्रविष्टावात्मानौसूत्रेऽप्येतद्हातुल्दृत् // 5 // वाजसनेयिशाखायां॥यथाव्रीहिर्वायवोवाश्यामाकोवा / श्यामाकतंडुलविवमयमंतरात्मन्पुरुषोहिरण्मयः॥६॥इत्यादिश्रुतिभीरूपंतस्योक्तंस्मृतिभिस्तथा ॥ईश्वरःसर्वभूतानांस्टद्दे||1|| शेऽर्जुनतिष्ठति // 7 // प्रथमस्कंधेशीष्मरुतस्तुतौहदिदृदिधिष्ठितमात्मकल्पितानांसविद्यमानानंदत्वादश्वर्य्याज्ञानतस्त था // नदुःखसुखभोक्तैषांसाक्षीद्रष्टैवकितुसः॥ 8 // तद्वेदवाक्येद्वावीशानीशौज्ञाज्ञावितिस्फुटं। ( अ० 1 पा०२/ ८)संभोगप्राप्तिरितिचेन्नवैशेष्याच्चसूत्रतः॥ 9 // वैशेष्यंजीवतस्तत्रानंदधर्माविलोपनात् ॥द्वतंसृष्टौतयोरेवनजीवन ह्मणोःक्वचित् // 10 // अंतर्यामिब्राह्मणेतर्यामिपादेचविस्तृतं / / रूपंतस्यततःस्पष्टंभाष्यादेरवधार्यतां / / 11 // सच्चिन्मा त्रश्चित्प्रधानोब्रह्मस्वांशोढदिस्थितः / / विसर्पिचैतन्यगुणोडणुर्जीवोऽविद्ययासितः // 12 // (मुंडके ) एषाणुरात्माचेतसावे| पदितव्योयस्मिन्प्राण:पंचधासंविवेशा॥इत्यादिश्रुतिभिस्तस्याणुमात्रत्वं निरूप्यते॥ 13 ॥(अ० 2 पा०३सू. 21) नाणु रतच्छ्रनेरितिचेन्नेतराधिकारात् // इत्यादिसूत्रतोव्यासचरणानरणायितत् // सएषआत्मादृदीत्यादिभिःश्रुतिभिरी // 14 // (अ० २पा.३ सु. 24) अवस्थितिवशेष्यादितिचेन्नाभ्युपगमाद्धदिहि // व्यासोप्यसूत्रयदितितस्माद्धये स्थितः // 15 // दत्स्थोगुणात्सचैतन्यांसंपूर्णांतनुतेतनुम् // कोणस्थितोयथादीपोऽखिलेगेहेप्रकाशते // 16 // कस्तूरि 1 अध्याय 1 पाद 2 स. ११गुहांपविष्टावात्मानौहितद्दर्शनात् 2 आनंदप्रचुरः 3 आनंदांशस्य ऐश्वर्यादिधर्माणांचातिरोभावात् 4 बद्धः 4.5 जीवः 6 चैतन्यसहिता विधेयविशेषणमेतत् - वसा

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