Book Title: Vedant Chintamani
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________________ वेचि-बचोभिभगवानधोऽक्षजोव्याख्यायतेलौकिकवैदिकैजनैः॥४३॥ एवंकीडन्प्रपंचात्मायदांतारतिमिच्छति // तदात्मप्र निबिलाप्येदरमतकारणेवशी // 44 // सुखार्थसर्घजीवानांकरोतिलयमात्मनि // व्यधाद्यथेहक्षणदांसुख्यंत्यात्मरती। हिते // 45 // आहुर्वेदाहियत्रतत्पुरुषःस्वपित्तीत्यतः // चितिलीनास्तदाजीवान विदतितुकिंचन // 16 // दुःखात्ययोय / थापंसामुषप्तावनु भयते // नानंदानुभवस्तत्रसतुमोक्षेप्रवक्ष्यते // 47 // अन्नेप्रलीयतेमर्त्य इत्यायुक्तप्रकारतः॥ जडानां उपलयस्तत्रसर्वेषांसर्वकारणे // 48 // आनंदांशांतरात्मानआनंदेचितिचेतनाः॥ जडाःसदंशेवततेविलीनाःसुप्तशक्तयः॥ HEM 49 // उद्गच्छंतितदिच्छातःपुनस्नेतत्तदंशतः // तत्तदंशेषुलीयंतऊर्णनाभ्यास्यतंतुवत् // 50 // यथोर्णनाभिःसृज तगृह्णतेचयथापृथिव्यामोषधयःसंभवंति // यथासतःपुरुषात्केशलोमानितथाऽक्षरात्संभवतीहविश्वम्॥ 51 // मुंडको पनिषद्यनगृहदारण्यकादिषु // श्रुतंभागवतेचेदंस्कंधएकादशेस्फुटं / 52 // यथोर्णनाभिर्हदयार्णासंतत्यवक्रतः॥ तया / विलयस्तांयसत्येवमधीश्वरः // 53 // तस्मात्सर्वलयस्थानंसर्वाविर्भावकारणं // चित्तेस्थिरंपरब्रह्मास्त्वचिंत्यानं तशक्तिमत् // 54 // यस्माज्जीवाःस्वांशाअणवोऽन्तर्यामिणोजडाश्वासन् // साकारंश्रुतिसारंवारंवारंस्मराखिलाधार / // 55 // ॥इतिवेदांतचितामणौअविकतपरिणामनिरूपणंनामषष्ठंप्रकरणं // 6 // // 7 // // 5 // अंशाजीवायतोवन्हेविस्फुलिंगवदुद्गताः॥ संसरंतिचमुच्यतेनमोऽस्मैसर्वशक्तये // 1 // व्योमेवव्यापकंब्रह्मसर्वत्रैकरसं 1 छांदोग्ये

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