Book Title: Vedant Chintamani
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________________ doot INनावशालिनित्यमतोऽखिलं // 18 // व्यासेनभारतेयोधोयहतास्तेप्रदर्शिताः // इतिनित्यंतिरोभावेडपीच्छयादृश्यतेक्वचि प. त् // 19 // केचिदाहुर्जगन्मिथ्याभ्रमाद्ब्रह्मणिदृश्यते॥ यथेहरजतंशुक्तौयथारज्जौभुजंगमः // 20 // ब्रह्मादृश्यंसर्वथैवनि राकारंमतेचते // साकारदृश्यएवस्यादाश्रयेनिश्चितंभ्रमः // 21 // नधूल्याच्छन्नशुक्तौवावायौवाभांतिरिष्यते // किंचसा धर्म्यमूलोऽयंशुक्तौयच्चाकचक्यतः // 22 // किनान्यथागजभांतिर्मायिकंसगुणंजगत् // निर्धर्मकेविमायंतत्साम्यगंधो पिनानयोः // 23 // हट्टादौरजसत्यंवल्मीकादौचपन्नगः // दृश्यतेतज्जसंस्कारात्कल्पयेद्धीमषाश्रये // 24 // त Elथाभिन्नमऽतःसत्त्यं दृष्टंचेदीदृशंक्वचित् // तदाकल्प्येतसंस्कारादृश्यतेश्रूयतेनतत् // 25 // नन्वसत्योयथास्वमोग्रह वित्तादिलभ्यते // मिथ्यातंत्रननिद्रांततेदसत्यमिदतथा // 26 // इतिचेन्नतदोद्भूतैःपापैःपुण्यैर्नवैभवेत् // दुःखसुखं वातत्सर्वजगज्जाभ्यांतुजायते // 27 // दृष्टंजायदवस्थायांयद्यद्दटपटादिकं // संस्कारात्कल्प्यतेतत्तन्मोहनान्माययाम तः॥ 28 // अस्यजायदवस्थातुमोक्षस्तत्रनकिंचन || क्वत्यंसत्यंतदादृष्ट्वाऽत्राऽसत्यंपरिकल्पितं // 29 // नन्वदृष्टम पिस्वमेदृश्यतेभंगवाञ्छशः // चलन्वृक्षोगजःपीतइत्याद्यत्राविलंतथा // 30 // इतिचेन्नशशोरक्षोहस्तीशृंगंगतिक्रिया।। पीतवर्णइमेदृष्टायोगमातुकल्प्यते // 31 // गृहंसत्यं स्वयंसत्योयोगोममतयामधा // जीवःसत्यस्तनुःसत्याऽहंताराजत्वव हथा // 32 // सिद्धांतइतिचेतहिदृष्टांतउपपद्यते // पुराणेष्वप्येतदर्थस्वमानत्वंक्वचित्कृतं // 33 // अतःसूत्रेषुवैधा 1 स्वमे 2 स्वामिकवस्तु 3 विप्रादेःस्वमेराजैवाहमितिप्रतीतिवत्

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