Book Title: Vedant Chintamani
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Page 22
________________ मान्कितुयद्यत्कर्मकमिच्छति।। 61 // गमनादानशक्तीतुवर्ततेचरणेकरे // देहीच्छयातयोःकार्यंतदभावप्रसुप्तता // 62 // ब्रह्मनिष्ठमिदंसर्वतस्याविर्भवतीच्छया // जात उत्पन्नइत्याद्यातस्मिन्व्यवदतिस्तदा // 63 // आविर्भावोहिजननंप्रादु। वजनिर्यतः॥उत्पूर्वोवापदगताधातुरुत्पत्तिरुद्गमः॥६४ // नदृश्यतेतिरोभूतंवस्तुब्रह्मणितन्मयंयथाजवनिकाच्छन्नंपटा दिनविलक्ष्यते॥६५॥नाशमानोनाशमाप्तइतिव्यवदृतिस्तदा।।वस्तुतोऽदर्शनंनाशोनशधातुरदर्शने॥६६॥चेतनेव्यवहारस्तु / / मृतइत्यपिजायते॥प्राणत्यागेहिमृङ्प्राणःसंघातस्थोवियुज्यते॥६७ जीवोपाधिःससंघातोजीवनसहगच्छति।जीवदेहवि। योगोडतोमृतिरित्यभिधीयते॥ ६८॥तीधात्वर्थविचारतुव्यवहारेपिसिध्यतः।। नाशोत्पत्तिविकल्पस्त्वपरिनिष्ठधियामयम्। ॥६९||नाशात्पत्तिविदांशोकाऽप्यनित्यत्वधियानवेत्॥ नित्यत्वज्ञाब्रह्मनिष्ठानविमुझंतिकार्दचित्।।७०॥नित्यत्वंबोधितस्प टंगीतासुहरिणास्वयं // अज्ञानस्यविनाशायततोनष्टार्जुनस्यशुक् // 71 // नत्वेवाहंजातुनासंनत्वंनेमेजनाधिपाः॥1 नचैवनभविष्यामःसर्वेवयमतःपरं / / 72 // दृश्यमानप्रपंचस्यमिथ्यात्वंसुप्रमाणतः // महतवप्रपंचनभाष्यकारोनिरस्तवा मन् // 73 // विस्तृतरुपमनयोराचार्यचरणादिभिः॥ बालबोधोपयोग्येवसंक्षेपेणेहणितं // 74 // तस्मात्कीडास्पदंवि श्वंनित्यं भगवदात्मकम् // आविर्भावतिरोभावशालिवेदादिषुदितम् / / 75 // तत्ध्यानमानसःस्याएकोप्यविकारएवयोभ .टी. लिंगशरीरं.

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