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५. सुकविता यद्यस्ति राज्येन किम् ।
अच्छी कविता
-- म हरि-नीतिशतक २१
यदि श्रेष्ठ कविता है तो फिर राज्य में क्या है। २. सरसा सालङ्कारा, सुपदन्यासा सुवर्णमय मूर्तिः । आर्या तथैव भार्या, न लभ्यते पुण्यहोनेन ॥
- प्रसंग रस्नावली सरस, अलङ्कारसहित अर्थात् अच्छे वाक्य को सलानेवाली गुणसहित, अच्छे पदों की रचनावाली एवं अच्छे वर्णों-अक्षरोंवाली ऐसी आर्या (एक प्रकार की पद्यमय कविता ) और भार्या पुण्यहीन को नहीं मिलती । भार्या के पक्ष में अलंकार का अर्थ आभूषण है, सुपद का अर्थ अच्छे पग हैं और सुवर्णमभूर्ति का अर्थ सोने की-सी पुतली है। (यह यर्थ काव्य है ) |
सा कविता सा वनिता यस्याः श्रवणेन दर्शनेनापि । कविहृदयं विहृदयं, सरलं तरलं च सत्त्वरं भवति ॥ वही कविता, कविता है, जिसे सुनने से कवियों का हृदय सरल हो जाये । वही वनिता, वनिता है, जिसको देखते ही मनुष्य का हृदय चंचल हो जाय |
४. सहज और सोधी हुवै,
ऊंचा भाव यथेष्ट |
रस बरसे मुख बोलतां वाही कविता श्रेष्ठ ।
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