Book Title: Shatkhandagama Pustak 12
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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पृष्ठ
५०१
( १६ ) - विषय
पृष्ठ | विषय जिसके मोहनीय वेदना भावकी अपेक्षा नामकर्मकी प्रकृतियाँ
४६२ जघन्य होती है उसके सात कर्मोंकी वेदना गोत्र कर्मकी प्रकृतियाँ
४६६ भावकी अपेक्षा कैसी होती है इसका क्षेत्रप्रत्यासकी अपेक्षा ज्ञानावरणकी विचार
प्रकृतियाँ
४९७ जिसके आयुवेदना भावकी अपेक्षा जघन्य इसी प्रकार दर्शनावरण, मोहनीय और होती है उसके छह कर्मोंकी वेदना भावकी अन्तरायकी प्रकृतियाँ जाननेकी सूचना ४६८ अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार ४७४ । वेदनीय कर्मकी प्रकृतियाँ
४६६ उसके नामवेदना भावकी अपेक्षा कैसी
इसी प्रकार आयु, नाम और गोत्रकर्मकी होती है इसका विचार ४७५ । प्रकृतियाँ जाननेकी सूचना
५०० जिसके नामवेदना भावकी अपेक्षा जघन्य
१५ वेदनाभागाभागविधान होती है उसके आयुके सिवा शेष छह कर्मोंकी वंदना भावकी अपेक्षा कैसी
वेदनाभागाभाग विधानकी सूचना व तीन होती है इसका विचार
४७५
अनुयोगद्वार उसके आयुवेदना भावकी अपेक्षा कैसी
प्रकृत्यर्थताकी अपेक्षा ज्ञानावरण और
दर्शनावरण प्रकृतियोंका भागाभाग होती है इसका विचार
. ४७५ जिसके गोत्रवेदना भावकी अपेक्षा जघन्य
शेष छह कर्मोका भागाभाग ५०४-५०८ होती है उसके सात कर्मोंकी वेदनाभावकी
समयप्रबद्धार्थताकी अपेक्षा ज्ञानावरण अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार ४७६
और दर्शनावरण प्रकृतियोंका भागाभाग ५०४ शेष छह कर्मोंका भागाभाग
૧૦૫ १४ वेदनापरिमाणविधान ४७७-५००
क्षेत्र प्रत्यासकी अपेक्षा ज्ञानावेदनापरिमाणविधान कहनेकी सूचना व वरणका भागाभा स्पष्टीकरण
इसी प्रकार दर्शनावरण, मोहनीय और उसके तीन अनुयोगद्वार और स्पष्टीकरण ४७८ अन्तराय कर्म के भागाभागकी सूचना ५०७ प्रकृत्यर्थताकी अपेक्षा दो आवरण कर्मीकी
बेदनीय कर्मका भागाभाग
५०७ प्रकृतियाँ
४७८ इसी प्रकार आयु, नाम और गोत्र वदनीयकर्मकी प्रकृतियाँ ४७६ कका भागाभाग
५०८ मोहनीयकर्मकी प्रकृतियाँ
४८१ आयुकर्मकी प्रकृतियाँ
४८२
१६ वेदना अल्पबहुत्व ५०९-५१२ नामकर्मकी प्रकृतियाँ
४८३
वेदना अल्पबहुत्वकी सूचना व तीन गोत्रकर्मकी प्रकृतियाँ ४८४ अनुयोग द्वार
પ૦e अन्तराय कर्मकी प्रकृतियाँ
४८५ प्रकृत्यर्थताकी अपेक्षा आठों कर्मोंका समयप्रबद्धार्थताकी अपेक्षा दो आवरण
अल्प बहुत्व
५०९ कर्म और अन्तराय कर्मकी प्रकृतियाँ ४८५ समय प्रबद्धार्थताकी अपेक्षा आठों वेदनीय कर्मकी प्रकृतियाँ ४८७ कोका अल्पबहुत्व
५१० मोहनीय कमेकी प्रकृतियाँ
४६० क्षेत्र प्रत्यासकी अपेक्षा आठों कर्मोका आयुकर्मकी प्रकृतियाँ ४६१ | अल्पबहुत्व
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