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विस्तार से पिछले भवों की कथा से समझाकर वसुदेव को न केवल संतुष्ट किया बल्कि यह भी बतलाया कि तेरा सातवां पुत्र कंस को मारेगा व तुम्हारे शेष छः पुत्र चरम शरीरी होंगे। अतिमुक्तक नाम के उन्हीं मुनिराज ने वसुदेव को यह भी कहा कि शीघ्र ही 22वें तीर्थंकर आपके वंश में उत्पन्न होंगे। यह सुनकर वसुदेव अति प्रसन्न हुए व मुनिराज को नमस्कार कर घर चले गये। हरिवंश पुराणानुसार उपरोक्त बातें मुनिराज ने वसुदेव को तब बतलाई; जब आहार दान देने के पश्चात् वासुदेव व देवकी ने मुनिराज से स्वयं की दीक्षा का काल पूछा ।
46 संक्षिप्त जैन महाभारत