Book Title: Sankshipta Jain Mahabharat
Author(s): Prakashchandra Jain
Publisher: Keladevi Sumtiprasad Trust

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Page 183
________________ आत्मा का वैभव दर्शन लाड़ इस ग्रंथ में जैनाचार्य कुंदकुंद के अमर ग्रंथों समयसार, प्रवचनसार, पंचास्तिकाय के सरल, सुबोध भावार्थ को बड़ी ही रोचक शैली में प्रस्तुत किया गया है। अध्यात्म-प्रेमियों के लिए अमृत-कलश के समान उपयोगी कृति। । बोधिसत्व उवाच डॉ. प्रद्युम्न जैन 'अनंग' प्रस्तुत कृति में जानेमाने अग्रणी विचारक डॉ. अनंग ने पहली बार हिन्दी साहित्य में सुकरातीय संवाद शैली में बोधिसत्व के माध्यम से वर्तमान दर्शन और साहित्य का रचना-संसार मुखर किया है, जो दार्शनिक सृजनशीलता का बेजोड़ उदाहरण है। हिन्दी साहित्य की अपने ढंग की पहली रचना जिसमें साहित्य, दर्शन और इतिहास का सम्यक् मूल्यांकन है जो पाठक को नये ढंग से सोचने का अवसर उपलब्ध कराती है। स्वर योग : एक दिव्य साधना आचार्य अशोक सहजानन्द स्वर योग पर लेखक के शोध-निष्कर्षों का सार इस ग्रंथ में है। वैदिक, जैन और बौद्ध स्वर शास्त्रों के सिद्धांतों का प्रामाणिक अनूठा संकलन। साथ ही 'कुंडलिनी शक्ति' और 'ग्रंथि भेद' पर दुर्लभ सामग्री का संकलन कर लेखक ने इस ग्रंथ को अद्भुत बना दिया है। ज्ञान प्रदीपिका आचार्य अशोक सहजानन्द यह पुस्तक प्रश्न ज्योतिष का एक प्राचीन ग्रंथ है। इसका उल्लेख अनेक ग्रंथों में प्राप्त होता है। इस ग्रंथ में 27 कांड हैं। पाठकों के लाभार्थ प्रस्तुत कृति में जैन ज्योतिष के संबंध में शोधपूर्ण मौलिक सामग्री भी प्रकाशित की गई है। वास्तु दोष - आध्यात्मिक उपचार आचार्य अशोक सहजानन्द वास्तु शास्त्र का सम्यक् ज्ञान कराने वाली एक विशिष्ट कृति जो फेंगशुई एवं पिरावास्तु के विषय में भी सरल, सुबोध, सरस भाषा-शैली में प्रामाणिक ज्ञान उपलब्ध कराती है। वास्तुदोषों के ये आध्यात्मिक उपचार न केवल आवास के दोषों को दूर करते हैं, वरन् वे एक सार्थक, सुखी और संतुष्ट जीवन का मार्ग भी प्रशस्त करते है। ब्रजभाषा गध का विकास डॉ. जयकृष्ण प्रसाद खंडेलवाल प्रस्तुत ग्रंथ में इतिहासकारों एवं आलोचकों की भ्रांतियों का निराकरण करते हुए कुछ मौलिक और नूतन स्थापनाएं प्रस्तुत की गयी हैं। ब्रजभाषा गद्य साहित्य के सम्पूर्ण इतिहास का प्रेरक स्त्रोत, प्रमुख प्रवृत्तियां, सापेक्षिक साहित्यिक स्थिति, संक्षिप्त जैन महाभारत - 181

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