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नारायण, तीर्थंकर का तीर्थंकर एवं वलभद्र का वलभद्र से आपस में मिलन नहीं होता व वे एक दूसरे को देख नहीं सकते, ऐसा नियम है। तब दोनों नारायण आपस में दोनों की ध्वजा को देखकर संतुष्ट होकर अपने-अपने स्थानों को गमन कर गये।
पांडव श्रीकृष्ण के साथ हस्तिनापुर आ गए। पर रास्ते में यमुना पार करते समय भीम ने श्रीकृष्ण की नौका को छिपा दिया। जिससे श्रीकृष्ण को अपने बाहुबल से यमुना नदी को पार करना पड़ा था। इससे श्रीकृष्ण रूष्ट हो गये। अतः उन्होंने हस्तिनापुर आने पर यहां का राज्य अभिमन्यु के पुत्र जो विराट की पुत्री उत्तरा के गर्भ से उत्पन्न हुए थे एवं अर्जुन के पौत्र थे एवं जिनका नाम परीक्षित था, को दे दिया।
और पांडवों से मथुरा जाकर रहने को कह दिया। तब सभी पांडव परिवार सहित मथुरा जाकर बस गये। यहां पर हरिवंश पुराण में उल्लेख है कि श्रीकृष्ण की आज्ञा से पांडव दक्षिण की ओर जाकर एक मथुरा नाम की नगरी बसाकर चंदन व लवंग के वृक्षों से घिरे मलयगिरि के आसपास रहने लगे।
158 - संक्षिप्त जैन महाभारत