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आते देखकर कंस शंकित हो गया, पर बाद में यह जानकर कि ये शौर्यपुरवासी अपने छोटे भाई को देखने आये है, निश्चिंत हो गया व उनका अच्छा आदर-सत्कार कर महलों में ठहरा दिया। वहीं दूसरी ओर यशोदा के घर बलभद्र ने माँ यशोदा से कुछ कटु वचन कहकर कृष्ण से शीघ्र स्नान करने को कहा। तब वसुदेव व कृष्ण स्नान हेतु नदी पर चले गये। वहां बलभद्र ने कृष्ण से उनके मानसिक संताप का कारण जानना चाहा, पर कृष्ण ने बलदेव से उल्टा सवाल पूछ लिया कि आज आपने माँ यशोदा का तिरस्कार क्यों किया? तब बड़े प्रेम से कृष्ण का आलिंगन कर बलदेव कृष्ण से बोले कि अतिमुक्तक मुनि श्री ने कंस की स्त्री जीवद्यसा से कहा था कि वसुदेव का सातवां पुत्र कंस का बध करेगा। इसीलिए कंस ने देवकी से उत्पन्न छः पुत्रों को उसने अपनी समझ में मार डाला है। तुम देवकी के सातवें पुत्र प्रसव के पूर्व ही उत्पन्न हो गये थे, अतः हमने तुम्हें गोकुल लाकर यशोदा के यहां रख दिया था। कंस ने तुम्हारे मारने के अनेक यत्न किये, पर वह ऐसा कर नहीं सका। अब कंस भयंकर मल्ल युद्ध का निश्चय कर व उसमें तुम्हारे भाग लेने हेतु आमंत्रण भेजकर तुम्हें मारना चाहता है। इतना कहकर बलदेव चुप हो गये। परन्तु कृष्ण यह सब सुनकर अति प्रसन्न हो गये व बड़े भाई के रक्षा-कवच से युक्त होकर सिंह के समान लगने लगे। स्नान, भोजन व अन्य आवश्यक क्रियाओं से निवृत्त होकर वे दोनों भाई शीघ्र ही मथुरा रवाना हो गये। मार्ग में असुरों ने नाग, गधा व दुष्ट घोड़ों का रूप बनाकर बलदेव व कृष्ण को रोकना चाहा, पर इन सबको इन दोनों ने मार भगाया।
मथुरा नगरी के द्वार पर पहुँचते ही कंस की आज्ञा से उन पर दो उन्मत्त हाथी छोड़ दिये गये, पर श्रीकृष्ण व बलदेव ने उन हाथियों के दांतों को उखाड़ कर उन्हें मार दिया। तब वे दोनों शीघ्र ही मल्लयुद्ध हेतु नियत किये गये स्थान पर पहुंचे। वहां बलभद्र ने कंस, समुद्रविजय आदि से श्रीकृष्ण का परिचय कराया। मल्ल युद्ध प्रारंभ होने पर बलदेव व श्रीकष्ण ने मल्ल युद्ध में अनेक मल्लों को परास्त कर दिया। जिसे