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खंड वाला श्रीकृष्ण का सर्वतोभद्र महल भी वहीं था। पास में बलदेव का महल था। उग्रसेन आदि राजाओं के महल भी वहीं थे। यह सभी महल आठ-आठ खंड के थे। तब कुबेर सभी का सत्कार कर पूर्णभद्र नामक यक्ष को संदेश देकर अंतर्हित हो गया। धीरे-धीरे पश्चिम के सभी राजा यादव राजाओं की आज्ञा मानने लगे। द्वारिका में ही नेमिकुमार श्रीकृष्ण व बलदेव के साथ बाल क्रीड़ा से सभी को आनंद प्रदान करते थे। नेमिप्रभ की आयु 1000 वर्ष थी, शरीर दस धनुष का था, संस्थान व संहनन उत्तम थे। तीनों लोकों के इन्द्र उनकी पूजा करते थे।
74. संक्षिप्त जैन महाभारत