________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( २४ )
प्रघात
नि-वि० [गं०] १ ग्रागे का, अगला । २ सामने का, सम्मुख का। अग्रिम-वि० [सं०] १ पेशगी, एडवांस । २ पहला, पूर्व का।
३ प्रथम, पहला । ४ पूर्व का अागे का । ५ श्रेष्ठ उत्तम। ३ अगला, बादका। ४ उत्तम श्रेष्ठ। ५ प्रधान मुख्य । -क्रि०वि०१ प्रागे, अगाडी।२ सामने, सम्मुख।३ पहले, पूर्व। सब से बड़ा। -पु० बड़ा भाई। -पृ०१आगे का भाग, सिरा। २ अवलंबन, सहारा। अग्र-क्रि० वि० [सं०] १ अगे, अगाड़ी। २ सामने सम्मुख । ३ ममूह। ४ शिखर। ५ नेता, नायक । ६ आहार की ३ आदि में, पहले। --ण-क्रि० वि० अग्र भाग से। मात्रा। ७ प्रारंभ, शुरुयात । ८ मोर के ४८ अडों के ---सर-वि० अगुवां । मुख्य, प्रधान । प्रारम्भ कर्ता । बगबर का तौल । कर-पु० अंगुली। पहली किरण ।
-क्रि० वि० आगे की पोर, प्रागे।-सुर, स्वर-पु० गणेश, –कारी-वि• अग्रगी, अगुवा ।--ग, गण्य, गन्य-वि० गजानन । गगाना में प्रथम । मुख्य । नेता, नायक ।---गांमी-वि० । अघ-पु० [सं० अघं] १ अधर्म, पाप। २ अपराध, जुल्म । पागे चलने वाला, अगुवा । प्रधान, नेता।-ज, जनमा, ३ कुकर्म, दुष्कर्म । ४ व्यसन । ५ अशौच, सूतक । ६ दुःख, जन्मा, जात, ज्ज-पु० बड़ाभाई । ब्रह्मा । ब्राह्मण नेता, विपत्ति । [सं० अघः] ७ कम का सेनापति, अघासुर । नायक ।-वि० प्रथम जन्मा। श्रेष्ठ, उत्तम । प्रधान । ...दि. १ खराव, बुरा, निकृष्ट । २ दुष्ट, पापी, अधम, .. जाति, जाती-J० ब्राह्मण ।-दांनी- वि० प्रथम दान नीच । ...जोत वि. धर्मात्मा । पापियों को जीतने वाला। करने वाला । -पु. मृत-कर्म में दान लेने वाला पतित --पु० श्रीकृष्ण । -डंडी -पु. ईश्वर । यमराज । ब्राह्मगा ।---दूत-पु० आगे चलने वाला दूत, हलकारा । न्यायाधीग । -नासक, मार, मारण, मारन, मोचण, -भाग-पु० अागे का हिन्मा। मिरा, नोक । शेष भाग। मोचन-वि• पापों का नाश करने वाला ।—पृ० विष्णु । --भागी-वि० प्रथम भाग का अधिकारी।---महिसी-स्त्री० श्रीकृष्ण, दान, जप ।-स्त्री० गंगा ।--वांन वि० पटरानी।-लेख-पु० मुख्य लेख, खास समाचार-वारण, पापी । ----वारण-वि० पापों का निवारण करने वाला। घांणी-वि० अग्रगण्य । नेता, प्रधान-संध्या-स्त्री० प्रातः -हता-पु० थोकृष्ण, विष्णु । ईश्वर, श्रीराम । काल, सवेरा ।-स-क्रि० वि० प्रारंभ से। सर-वि० अग्रगण्य । ---हर, हरण-वि० पापों का हरण करने वाला। -पु० अगुवां । प्रारंभ करने वाला। मुख्य प्रधान ।-प्रव्य० पागे ईश्वर ।-हरणी-स्त्री० महादेवी । दुर्गा । गंगा। हाताकी पोर। आगे-पागे। साळ, साळा-स्त्री० सायबान, स्त्री० पापों का नाशकर मोक्ष देने वाली गंगा देवी। ग्रोमारा ।-सोचि, सोची-वि० दूरदर्शी ।-स्थांन-पु० -हारी-वि० पापों का हरण करने वाला । प्रथम स्थान । हस्त-पु० अंगुली । हाथी की सूड । --पु० ईश्वर, विष्णु । - हायण-पु० अगहन मास ।
अधड़-देखो 'ग्रगणघड़' । अग्रणी -वि० प्रागे चलने वाला, अगुवा, नेता, श्रेष्ठ, उत्तम ।
अघट-वि०१ घट रहित, जो घटिन न हो, न होने योग्य, कठिन
दुर्घट,जो ठीक न घटे अनुपयुना।२ अक्षय ।३ देखो 'अघटित ।' अग्रम-देखो 'अगिम' ।
अघटणी, (बौ)-कि० वि० सं० अ- घटनम् विचित्र ढंग से अग्रवाळ-देखो 'अगरवाळ' ।
होना, अद्भुत तरीके से घटना। अग्रसरण-देखो 'ग्रामगग' ।
अघटित, अघट्ट वि० [म० अपटित १ जो घटित न हया हो। अग्राज म्बी० [सं० अ गर्जनम् ] जोश पूर्ग अावाज गर्जन,
२ जिसका घटना संभव न हो। ३ असंभव । ४ अवश्य होने दहाड़। हुंकार।
वाला, अनिवार्य । ५ अनुचित अयोग्य । ६ अनुपयुक्त । अनाजणी, (बौ) क्रि० स० जोण पूर्ग अावाज करना, गर्जना,
७ अद्भुत, अनौखा, अपूर्व । ८ अपार, असीम, बहुत । दहाड़ना, हुंकार भरना।
अघट्टणौ, (बौ)-देखो 'अघटणी' (बौ)।
अधण, अधन-१ देखो 'अगनी'। २ देखो 'अगहन' । अग्रासण-पु० [सं० अग्राशन] १ भोजन का अंश जो देवता,
| अघरणी-देखो 'नागरणी' । गो ग्रादि के लिये सर्व प्रथम निकाला जाय।
अघरायण-वि० [देश] भयंकर, भीषण। --स्त्री० अत्यधिक •सं• अग्रासन] २ सम्मान पूर्ण प्रासन या स्थान ।
गर्म व तेज वायु, । अग्राह्य-वि० [सं०] १ जो ग्रहण करने योग्य न हो। २ जो
अघहट-देखो 'पागाहट'। धारण करने योग्य न हो, त्याज्य। ३ जो विचार करने
अघहरण-पु० मार्ग शीर्ष का मास, अगहन । मानने, स्वीकारने योग्य न हो। ४ अविश्वसनीय ।
अधारणी (बी)-कि० [सं० याघ्राण] तृप्त होना, अघाना । अनि-देखो 'अग्र।
| अघात-देखो 'ग्राघात' ।
For Private And Personal Use Only