________________
२७
भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी महाराज जैसे सुयोग्य शिष्य को पाकर आपकी विद्यालता पुष्पित एवं विकसित होने लगी। पंजाब प्रान्त में अधिकतर श्रमण और श्रमणी वर्ग की प्राकृत- ज्ञान की समृद्धि पं० श्री हेमचन्द्र जी महाराज की ही तो देन है । आपके पौत्र शिष्य प्रवचनभूषण श्री अमर मुनि जी महाराज पर भी आपकी विद्यासाधना का परम्परित प्रभाव विद्यमान है ।
प्रस्तुत प्रश्नव्याकरण सूत्र जैन - सिद्धान्तों का, पांच आस्रवों और पांच संवरों का विश्लेषण करने वाला मानो मूल सूत्र है । इसकी व्याख्या आपके प्रखर पाण्डित्यपादप का ही सुन्दर अमृतोपम फल है । जिसका आध्यात्मिक आस्वादन समाज को नई आध्यात्मिक शक्ति और नई आत्मचेतना देगा, यह मेरा अक्षय विश्वास है ।
आजकल आपका स्थविर जीवन लुधियाना में ही व्यतीत हो रहा है, जैन समाज की श्रद्धा-प्रतिष्ठा पर आसीन होकर । आपका तपोमय जीवन नव जीवन दे रहा है, अध्यात्म-जीवन के पथिकों को ।
- तिलकधर शास्त्री
सम्पादक - आत्मरश्मि, लुधियाना ( पंजाब )