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प्राकृत भारती
३८. हम सब यहाँ क्या करें ? युवतियों का मन गुणों के श्रेष्ठ मनुष्य में लगा हुआ है, क्योंकि सुन्दर पुष्पों की सुगन्ध से युक्त वृक्ष पर भौरों के समूह निकालने (भगाने) के लिए समर्थ नहीं ।
३९. जिस दुष्ट आत्मा के द्वारा वे दूर ले जाए जा रहे, वे जनार्दन (कृष्ण) हम लोगों के लिए प्राणों से प्रिय हैं हे गोपियों ! ( आप यह ) समझें कि वह आया हुआ कंस दूत नहीं, कृतान्त (यमराज) का दूत ही ( था ) ।
४०. यह क्रूर है, अन्य नहीं, इसके लिए अवश्य ही जो अक्रूर शब्द प्रक्रिया की गई वह जैसे घोरमूर्ति के शिव के अघोर शब्द उसी तरह यह की गई ।
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