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भविष्यदत्तकाव्य
दुःखी हुए । उस स्थल पर पहुँच कर भविष्यदत्त भी इस प्रकार सोचने
लगा६९. 'बन्धुदत्त मुझे छोड़कर क्यों चला गया ? अथवा क्या यह वही समुद्र
तट नहीं है, जहाँ मेरा जहाज रुका था ? किन्तु जहाजों के मस्तूल आदि चिह्न तो दिखाई दे रहे हैं। इससे विदित होता है कि बन्धुदत्त
के लोभ के कारण ही मैं यहाँ अकेला छोड़ दिया गया है।' ७०. ऐसा विचार करके वह भविष्यदत्त पीछे लौट गया और उसी द्वीप में
इधर-उधर भटकता हुआ एक कदलीगृह में पहुँचा और वहीं विश्राम कर उसने रात्रि व्यतीत की।
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