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प्राकृत भारती
७५. मयूरों के पंख को कौन चित्रित करता है ? राजहंसों की गति को
कौन सुन्दर बनाता है ? कमल पुष्पों को कौन सुगन्धित करता है ? और उच्च कुल में उत्पन्न व्यक्तियों को विनयशील कौन बनाता है ?
और भी७६. धान अपने ही भार से झुक जाता है। मेघ जल के भार से झुक
जाते हैं। वृक्ष के शिखर अपने फलों के भार से झुक जाते हैं, तथा सज्जन व्यक्ति अपने विनय गुण के कारण झुकते हैं। वे किसी के भय
से नहीं झुकते हैं। ७७. उसके बाद कुमार अगडदत्त की विनय से प्रसन्न होकर राजा ने
उससे कुशल-समाचार पूछा। तत्पश्चात् उसने उससे कला सम्बन्धी
बातें विस्तारपूर्वक पूछी। ७८. जब लज्जा के कारण कुमार अगडदत्त अपने गुण सम्बन्धी बातों को
राजा से न कह सका तब उसके गुरु पवनचण्ड ने कहा-“हे प्रभु, यह समस्त कलाओं में निपुण है।"
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