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प्राभार प्रदर्शन इस प्रन्थ को तैयार करने में और सर्वाङ्ग सुन्दर बनाने में वों तो बहुत से सजनों ने हमारा हाथ बँटाया है किन्तु निन लिखित महानुभावों के नाम विशेष उल्लेखनीय है:
१-सर्व प्रथम तो पूज्यपाद मुनि श्री ज्ञानसुन्दरजी महाराज साहिब, का हम पर असीम उपकार है क्योंकि जिन्होंने पूर्ण परिश्रम कर इस कार्य को अपने हाथ में ले इसका सम्पादन करने को अपनी अप्रतिम विद्वत्ता द्वारा नाना जैनशास्त्रों को निचोड़, अनेक ऐतिहासिक प्रमाणों को संग्रहीत कर इसे सर्वाग सुन्दर बनाने में जी जान से प्रयत्न किया है। अपनी का ही प्रताप है कि आज हम इस पुस्तक को इस सुन्दर रूप में आप श्रीमानों के हाथ में सोंपने में समर्थ हुए हैं । हमारा खासकर्तव्य है कि हम सबसे पहिले प्रापश्री का महान आभार मानें ।
२-पूज्यपाद विद्वद्वर्य मुनि श्री दर्शनबिजयजी महाराजादि आप श्रीमानों ने इस पुस्तक के विषय में समय समय पर अनेक सूचनायें देने में अपना उदारता का परिचय दिया है और इसकी महत्व पूर्ण प्रस्तावना लिखने का अभिवचन भी दिया।
३- पूज्यपाद शान्तमूर्ति मुनिश्री जयन्ति विजयजी महाराज भाप श्री ने कुभारियां अंजारी और श्राबू के अवश्यक चित्र भिजवाने की कृपा की है।
४-श्रीमान् संठ सूरजमलजो साहब कोचर ( फलोदी) हाल मुकाम सिकन्दराबाद वालों ने भो हमें पूर्ण सहयोग दिया
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