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( ३५ ) इनसे कुछ छो तो ये आपसे कोई बात छुगती भी नहीं है। बार बार पूछो तो उकताती या हुँझलाती भी नहीं पर प्रेम के साथ अपूर्व ज्ञान देती है अगर आप इनकी बात एक बार ही में नहीं समझ सकते तो ये आपकी हांसी किल्लिये भी नहीं उड़ाती है। अतएव ज्ञान भण्डार की पुस्तकें सब धनों में अमूल्य धन है। अगर आप सत्य सदाचार ज्ञान विज्ञान धर्म इतिहास कलाकौशल्य व्यापार हुन्नर और वास्तव में आनन्द के सच्चे जिज्ञासु होना चाहते हों तो पुस्तकों के प्रेमी बन प्रत्येक दिन-मास वर्ष की प्रामंद से कुछ द्रव्य बचा कर या फिजूल खर्च घटाकर बोध दायक पुस्तकों का संग्रह करें और बचित टाइम में प्रेम पूर्वक अध्ययन करें। सस्ती सुन्दर और उपयोगी पुस्तकें मिलने का का पता__ श्री रवप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला
___ फलोदी ( मारवाड़) निवेदक-नोरावरमल जैन, फलोदी (मारवाड़)
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