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कृतियाँ
कविवर बूचराज एवं उनके समकालीन कवि
चुकी है
उक्त दोनों कृतियों सहित वृचराज की भब तक निम्न रचनाएँ प्राप्त हो
१. मयजुज्झ
२. सन्तोष जयतिलकु
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३. बारहमासा नेमीस्वर का
४ चेतन पुद्गल धमाल
५. नेमिनाथ बसंतु
६ टंडारणा गीत
७. भुवनक्रीति गीत
८. नेमि गीत
६. विभिन्न रागों में निबद्ध ११ गीत एवं पद
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इस प्रकार कवि की अब तक १९ कृतियाँ प्राप्त हो चुकी है जो भाषा, शैली एवं भावों की दृष्टि से हिन्दी की अच्छी रचनाएं है । कवि के पदों पर पंजाबी भाषा का स्पष्ट प्रभाव है जिससे मालूम पड़ता है कि कवि पंजाबी भाषा भाषी भी थे ।
विभिन्न नाम
कविवर बुचराज के और भी नाम मिलते हैं। यूचराज के अतिरिक्त ये नाम हैं बूचा, वल्ह, बोल्ह वय । कहीं-कहीं एक ही कृति में दोनों प्रकार के नामों का प्रयोग हुआ है। इससे लगता है कि बूवराज अपने समय के लोकप्रिय कवि थे और विभिन्न नामों से जन सामान्य को अपनी कविताओं का रसास्वादन कराया करते थे । वैसे उनका दूधा प्रथवा वृचराज सबसे अधिक लोकप्रिय नाम रहा था ।
समय
कत्रि के समय के बारे में निश्चित तो कुछ भी नहीं कहा जा सकता । लेकिन यदि उनकी आयु ५० वर्ष की भी मान ली जाये तो हम उनका समय संवत् १५३०-१६०० तक का निश्चित कर सकते हैं । आाखिर संवत् १५६१ के बाद उन्होंने जितनी कृतियों को छन्दोबद्ध किया था उसमें कुछ बर्ष तो लगे ही होंगे । इसके अतिरिक्त ऐसा लगता है उन्होंने साहित्य लेखन का कार्य जीवन के प्रतिम १५-२० वर्षों में ब्रहाचारी की दीक्षा लेने और संस्कृत, प्राकृत एवं अपभ्रंश का गहरा अध्ययन करने के पश्चाद ही किया था ।