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गारवदास
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उन दोनों पर पड़ी । उनको प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा और वे दोनों को बहामारि देवी के मन्दिर में ले गये 1
___ मन्दिर का दृश्य विकराल था । चामें मोर पशु पक्षियों की मुडियो, मस्थियां एवं उनका रक्त बिखरा हुआ था . कार दुर्गन्ध में हर वरण समभिक भयानक था 1 भाई ने बहन को शरीर से मोह छोड़ने तथा आत्म स्थित होने के लिए समझाया। साथ ही में साधु संस्था के महत्व को भी समझाया । जब राजा ने अत्यधिक सुन्दर उस मानव युगल को देखा तो वह भी उनके रूप लावण्य को देखकर प्राश्चयं करने लगा। उसने उन दोनों से दीक्षा लेने का कारण जानना चाहा तथा बाल्यावस्था में ही तपस्वी बनने का कारण पूछा। राजा का वचन सुनकर अभयकुमार ने हंसकर निम्न प्रकार अपनी जीवन गाथा कही
अवन्ती देश को उज्जयिनी राजधानी थी। वह नगर स्वर्ग के समान सुन्दर था। चारों भोर फलों से लदे वृक्ष तथा मन्दिर एवं महलों से युक्त थी । वहां के नागरिक भी देवता के समान थे । नगर में सभी जातियां रहती थीं । यहां के राजा का नाम यशोधु था तमा चन्द्रमती उसकी रानी थी। वह शरीर से कोमल तथा गजगामिनि थी । न्यायपूर्वक शासन करते हुए जब उन्हें बहुत दिन बीत गए तो उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम मशोषर रखा गया । बालक बड़ा सुन्दर एवं होनहार लगता था। पाठ वर्ष का होने पर उसे घट शाला में पढ़ने भेजा गमा । विद्यालय जाने के उपलक्ष में लड्डू बांटे गये तथा गणेश एक सरस्वती की पूजा की गयी । पशोधर ने थोड़े ही दिनों में तर्कशास्त्र, व्याकरण शास्त्र, पुराण प्रादि ग्रन्थ तथा अश्च, हाथी आदि वाहनों की सवारी सीख ली। पढ़ लिखकर वह पुनः मातापिता के पास गया। इससे दोनों बड़े पानन्दित हुए । यशोधर का विवाह कर दिया गया। एक दिन राजा यशोधु सभा में विराजमान थे कि उन्होने अपने सिर में एक श्वेत केश देख लिया इससे उन्हें बराग्य हो गया और अपना राज्य कार्य यशोधर को सौंपकर स्वयं लपस्वी बनने के लिए वन में चल दिये।
__यशोधर बड़ी कुशलता पूर्वक राज्य कार्य करने लगा। उसकी महारानी का नाम अमृता धा को देबी के समान थी। कुछ काल उपरान्त एक कुमार उत्पन्न हमा जिसका नाम यशोमती रखा गया । यशोधर ने अपने राजकुमार को शासन का भार सौंप स्वयं अपनी रानी पमृता के साथ पानन्द से रहने लगा । यशोधर को अमृता के बिना कुछ भी प्रच्छा नहीं लगता थ।। अमृता के महल के नीचे ही एक कुबड़ा रहता था जो दुर्गन्धयुक्त शरीर वाला, अत्यधिक विरूप था लेकिन वह संगीत का बहुत ही जानकार था । रानी ने जब उसका संगीत सुना तो वह उस पर