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महाकवि ब्रह्म रायमल्ल भ० त्रिभुवनकोत्ति पर मंगल आशीर्वाद
एवं
परम पूज्य एलाचार्य १०८ भो विद्यानन्द जी महाराज :
समस्त हिन्दी जैन साहित्य को २० भाग में प्रकाशित करने की श्री महावीर अन्य अकादमी, जयपुर की योजना बहुत ही समयानुकूल है । इस योजना से बहुत से प्रज्ञात एवं प्रकाशित जैन ऋवि प्रकाश में पा सकेंगे । सम्पादन एवं मूल्यांकन की दृष्टि से अकादमी के प्रथम पुष्प 'महाकवि ब्रह्म रायमल्ल एवं भट्टारक त्रिभुवनकोत्ति" का बहुत सुन्दर प्रकाशन हुआ है। हमारा इस अकादमी को माशीर्वाद है । समाज द्वारा पकादमी को पूर्ण सहयोग साहित्य प्रेमियों को देना चाहिए, ऐसी हमारी सदभावना है।
भाचार्य कल्प परम पूज्य १०८ श्री श्रुत सागर जी महाराज :
श्री महावीर ग्रन्थ अकादमी द्वारा अप्रकाशित साहित्य को प्रकाशित करने की योजना महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है। हिन्दी भाषा की प्रभात एवं अप्रकाशित रचनामों को प्रकाश में लाने का जो कार्य प्रारम्भ किया है उसमें अकादमी एवं पदाधिकारी गणों को सफलता प्राप्त हो यही मगल आशीर्वाद है।
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