________________
तैयार हुए हो लेकिन मेरी छोटी बहिन के मनोरथ, अरमानों का विचार तो करो! वह आपके बगैर कैसे जी पायेगी?'
बड़ी सहजता से वज्रबाहु ने उत्तर दिया, 'सती स्त्री, कुलवान घर में जन्मी सुशील बालाएँ पति के आत्मकल्याणक मार्ग पर पति के पीछे चल देती हैं। इसलिये उसे भी मेरे पीछे पीछे दीक्षा के पुण्यमार्ग में आना होगा। कुलीन तथा सती स्त्री बनकर पति की छाया बनकर रहना ही उसका धर्म है। और यदि मनोरमा कुलीन नहीं है तो ऐसी अकुलीन स्त्री के साथ संसार में क्यों रहना चाहिये? इसलिये अब त्याग-मार्ग में निषेध आप जैसे को तो करना ही नहीं चाहिये। मेरे पीछे आप सबको इसी मार्ग पर चलना चाहिये।'
वज्रबाहु के मेरु समान दृढ़ मनोबल सबकी आत्मा पर अद्भुत ढंग से असरदायी बना।
वज्रबाहु की बातों से मनोमन दीक्षा लेने का सोचविचार करके मनोरमा भी रथ पर से ऊतर गई। उदयसुंदर की आत्मा भी लघुकर्मी थी। वज्रबाहु के साथ अन्य २५ राजकुमार थे, जो संसार से विरक्त बनकर प्रवज्या ग्रहण करने तत्पर हुए। वे सब उस पहाड़ी पर आये। गुणरत्न के सागर समान श्री गुणसागर मुनि से सबने संयम ग्रहण किया। ___ इस प्रकार तप, ध्यान, ज्ञान तथा संयमी जीवन की आराधना में निरंतर अप्रमत्त ये महापुरुष रत्नत्रयी साधना द्वारा आत्मकल्याण साधकर जीवन को सफळ बना गये।
। संगत करके संतों को सद वस्तु विचारना; । रगडा और झघड़ा तजकर बिगडा जन्म सुधारना।
जिन शासन के चमकते हीरे • ६३