Book Title: Jinshasan Ke Chamakte Hire
Author(s): Varjivandas Vadilal Shah, Mahendra H Jani
Publisher: Varjivandas Vadilal Shah

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Page 349
________________ गौतम स्वामी (1) गौतम स्वामी चरम शासनपति महावीर देव के प्रथम शिष्य थे । साथ साथ परमात्मा के प्रति बेहद भक्ति - राग था । निर्मल ज्ञान से परमात्मा का मोक्ष नजदीक आते देखकर गौतम स्वामी को देवशर्मा के पास प्रतिबोध देने भेजा । (2) इस तरफ परमात्मा अपापापुरी में हस्तिपाल राजा की सभा में नवमल्ली और नवलच्छि देश ऐसे अठ्ठारह देश के राजन निर्जल छठ्ठ तप के साथ पौषध लेकर 16 प्रहर की देशना सुनने बैठे। 64 इन्द्र, करोड देवता आदि 12 पर्षदा के सम्मुख अखण्डाधर देशना दी और दिपावली के दिन निर्वाण पाया । (3) गौतम स्वामी को वापिस लौटते समय यह खेदप्रद समाचार देवों की शोकातुर, अश्रुभरी आँखें देखकर मिले | (4) तब 'हाय...! वीर' कहते हुए वे गिर पडे। ऐसे वज्राघात समान समाचार से वे आकुल व्याकुल हो गये । बेशुद्ध अवस्था में उठे, तो 'हे वीर... हे वीर... ' कल्पांत करते हुए विलाप करने लगे । भारी रुदन करते हुए वह कह रहे थे, 'हाँ... हाँ... वीर... तूने यह क्या किया' उनको विलाप की भयंकर अवस्था में विशेष ज्ञान हुआ ।

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