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कीमती हार उस जय बनिये के घर में उसके निजी आभूषण रखने के संदूक में रखवा दिया और नगर में ढिंढोरा पीटवाया कि राजा का एक लाख की लागत का हार खो गया है। वह जिसके पास हो वह तुरंत राजदरबार में दे जाये। उसे निरपराधी मानकर हार लेकर छोड़ दिया जायेगा। आठ दिन में यदि हार वापिस दरबार में नहीं आया तो हरेक के घर की तलाशी ली जायेगी
और जिसके वहाँ से वह मिलेगा उसे चोर मानकर कड़ां दण्ड दिया जायेगा। परंतु कोई वह हार नहीं दे गया। उससे राजा ने नगर के सब घर की तलाशी लेने का हुक्म मिला। तलाशी लेते समय वह हार जय बनिये के यहाँ से मिला। इस कारण राजसेवकों ने तुरंत ही जय सेठ को बांधकर राजा के पास लाकर खड़ा कर दिया। जब उसे रंगेहाथ पकड़ा है तो उसे मार ही डालना चाहिये - ऐसा राजा ने फरमाया। तब उसके रिश्तेदार राजा के पास आकर गिडगिडाने लगे। राजा ने उनको पूछा, 'प्रत्यक्ष प्रमाण मिलने पर भी आप उसे छोड देने के लिये क्यों कहते हो? ऐसा कैसे हो सकता है? परंतु जब आप उसके लिए इतना गिडगिडा रहे हो तो मैं कहूँ वैसा वह करेगा तो उसे जरूर छोड़ दिया जायेगा।' तब रिश्तेदार बोल उठे कि 'आप कहो वैसा वह करने के लिये तैयार है।'
तब राजा ने कहा, 'तेल से भरा एक बर्तन उसके हाथ में दिया जाय, वह लेकर पूरे नगर के चौरासी चौक घूम कर आये मगर उसमें से एक भी तेल का बिन्दु जमीन पर गिरने न दे और जैसा भर कर दिया हो वैसा ही वह बर्तन यदि लाकर मुझे देगा तो जरूर उसे छोड़ दूंगा। परंतु यदि उसमें से एक भी बूंद जमीन पर गिरा तो तुरंत मेरे नौकर उसका सिर उडा डालेंगे। ऐसा करना उसे कबूल है?' मृत्यु के भय से उसने कहे अनुसार करना स्वीकार किया। और जब वह तेल का पात्र हाथ में लेकर घूमने निकला तो राजा ने पूरे नगर के लोगों को ऐसा हुक्म दिया कि जगह जगह पर नृत्यांगना अच्छे आभूषण पहनकर नृत्य करे - गणिकाएँ उत्तम श्रृंगार सजकर सर्व इन्द्रियों को सुखदायी हो वैसे नाटक-चेष्ठा और गान चौरे - चौहट्टे पर इसके आगमन समय पर करे। इस प्रकार नाटक, नृत्यगान, हावभाव वगैरह दिल लुभानेवाले कार्यक्रम उसके निकलने के मार्ग पर होने लगे। जय सेठ इन सब विषयों में रसिक था। जानता था कि यदि इस पात्र में से एक बूंद भी जमीन पर
जिन शासन के चमकते हीरे • २७५