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दुर्गति में डाल रहा है? तूं स्वयं गोशाला था, वही तू आज है। किसीके शरीर में प्रवेश करने का झूठ तूं क्यों बोलता है?' यह सुनकर अग्नि में घी होमा हो उस प्रकार भगवान को ज्यों त्यों बोलने लगा। यह वहाँ खडे सुनक्षत्र और सर्वानुभूति नामक दो मुनियों से यह सहन न हुआ। वे आगे बढे, गोशाले को ज्यों त्यों बकता अटकाने के लिये कुछ कहने लगे। गोशाले के मुख से अग्नि प्रकटी और उन दोनों को जलाकर भस्म कर डाला।गुरु के प्रति अगाध भक्ति के कारण भगवान ने बोलने की ना कहने पर भी भीतर भक्तिभाव उछल आया, इस शुभ भावना के कारण कालानुसार दोनों देवलोक में गये। उसके बादं गोशाला ने प्रभु की ओर तेजोलेश्या छोडी। उस तेजोलेश्या ने भगवान को तीन प्रदक्षिणा दी और पुनः गोशाले के शरीर में प्रवेश कर गयी। वह आकुल-व्याकुल हो गया और छटपटता हुआ वहाँ से चल दिया। जाते जाते बका : 'ओ महावीर! तेरी मृत्यु छः मास में ही हो जायेगी।' भगवंत ने कहा, 'हे गोशालक! मैं तो अभी और सोलह वर्ष इस पृथ्वी पर विचरूंगा, लेकिन तेरे शरीर में प्रवेशी हुई इस तेजोलेश्या से तूं सात दिन में ही मृत्यु प्राप्त करेगा।'
गोशाला वहाँ से चला गया परंतु उसके शरीर में प्रसरी हुई तेजोलेश्या से उसे भयंकर दाह उत्पन्न हुआ। मार्ग में उसकी भक्त हालाहला कुम्हारन का घर आया, तीन चार दिन वहाँ रहा। उसके दाह की पीड़ा बढती जानकर भक्तों की टोलियाँ गोशाला की शाता पूछने आने लगी, गोशाला हाथ में मद्य का पात्र लेकर मद्य पीने लगा और गाने लगा एवं नाचने लगा तथा ज्यों त्यों असंबंध वचन बोलते हुए उसने कहा, हे शिष्यों! मेरे मरण के बाद मेरे मृत शरीर को सुगंधित जल से स्नान कराके सुगंधी विलेपन लगाना। उस पर उत्कृष्ठ वस्त्र लपेटना ।दिव्य आभूषणों से सजाकर सहस्त्र पुरुषों से वहन कराती हुई शिबिका में बिठाकर उत्सव सहित बाहर निकालना और उस समय 'चालू अवसर्पिणी के चौबीसवें तीर्थंकर ये गोशालक मोक्ष पधारे हैं' ऐसा कहते हुए उच्च स्वर में पूरी नगरी में उद्घोषणा करवाना।' उनके शिष्यों ने ऐसा करना स्वीकृत किया। तत्पश्चात् सातवें दिन गोशाले का हृदय सचमुच शुद्ध हुआ, वह अत्यंत पश्चात्ताप करने लगा, 'अहो! मैं कैसा पापी! कैसा दुर्मति! मेरे धर्मगुरु श्री वीर अहँत प्रभु की मन-वचन-काया से मैंने अत्यंत आशातना की। मैंने सर्व स्थानों में मेरी आत्मा को मिथ्या ही सर्वज्ञ कहलवायी व सत्य समान दिखते मिथ्या उपदेश से सर्व लोगों को छला; अरे! मुझे धिक्कार है।
जिन शासन के चमकते हीरे • २९३