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प्रश्नोत्तर*
प्रश्न - साहित्य क्या है ?
उत्तर - क्या साहित्यकी परिभाषा चाहते है ? परिभाषा अनेक दी जा सकती हैं। लेकिन मैं समझता हूँ कि प्रश्नका उद्देश्य परिभाषा माँगने अथवा लेनेका नहीं है। साहित्यको हमें समझना चाहिए । समष्टि रूपमें हम एक है, व्यक्तिगत रूपमें हम अनेक है, अलग अलग है । इस अनेकताके बोधसे हम ऊपर उठना चाहते है । आखिर तो हम समयके अंग ही हैं । उस समयके साथ ऐक्य न पालें तब तक कैसे हमें चैन मिले ! इसीसे व्यक्तिमें अपनेको औरोंमे और औरोको अपने देखनेकी सतत अभिलाषा है । मनुष्यके समस्त कर्मका ही यह अर्थ है । मनुष्यके हृदयकी वह अभिव्यक्ति जो इस श्रात्मैक्यकी अनुभूति लिपिबद्ध होती है, साहित्य है । प्रश्न – साहित्यका जन्म कैसे हुआ ?
उत्तर- इसका उत्तर तो ऊपर ही आ जाता है। मनुष्य अपने आपमें अधूरा है, लेकिन वह पूर्ण होना चाहता है। इस प्रयासमे क्रमशः वह भाषाका आविष्कार कर लेता है, लिपि भी बनाता है । तब वह उस लिपिवद्ध भाषाके द्वारा अपनेको दूसरे के प्रति उड़ेलता है । अपनेको स्वयं अतिक्रमण कर जानेकी इस चाहको ही साहित्यकी मूल प्रेरणा समझिए ।
* ये प्रश्न श्री रमेशचन्द्र आर्यने किये थे ।
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