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आप क्या करते हैं।
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जिन्होंने इस दुनियामें कुछ भी अर्जित नहीं किया है, ऐसे अपने जैसे लोगोकी तो इनमें गिनती क्या कीजिए ! पर सौभाग्य यह है कि ऐसे लोग बहुत नहीं हैं। अधिकतर लोग संभ्रान्त है, गणनीय हैं, और उनके पास बतानेको काफ़ी कुछ रहता है। 'आप क्या करते है !' 'बैकर हूँ। जी हाँ, साहूकार ।' * आप क्या करते हैं !' 'कारोबार होता है । बम्बई, कलकत्ता, हाँगकाँगमें हमारे दफ्तर है।'
'आप क्या करते है?' ' मै एम० ए० पास हूँ। 'आप क्या करते हैं।' 'मैं एम० एल० ए० हूँ, लाट साहबकी कौंसिलका मेंबर ।' 'आप क्या करते है !'
'ओः! आप नहीं जानते ? है, हः हः राजा चंद्रचूसिंह मुझे ही कहते हैं। गोपालपुर,-८६ लाखकी स्टेट, जी हाँ, आपकी ही है।'
'आप क्या करते है !' 'मुझ राजकविसे आप अनभिज्ञ हैं ? मैं कविता करता हूँ।' 'कविता ! उसका क्या करते है !' ' श्रीमान्, मैं कविता करता हूँ। मैं उसीको कर देता हूँ, साहब। और क्या करूँगा?' अत्यन्त हर्षक समाचार हैं कि बहुत लोग बहुत-कुछ करते हैं