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व्यवसायका सत्य
बनाया भी था। श्यामने सोचा है कि वह भी कन्दील बनायेगा
और बनाकर उन्हे बाजारमें बेचने जायगा। सोचता है कि देखे, क्या होता है। ____रामने कहा-श्याम, यह कागज तुमने क्या लिये है ? इसके बदलेमे वह मेम-साहबवाला खिलौना ले लो न, कैसा अच्छा लगता है। श्यामने कहा-नहीं, मै कागज ही लूँगा।
रामने अपने हाथके मेम-साहबवाले खिलौनेको गौरवपूर्ण भावसे देखा और तनिक सदय भावसे श्यामको देखकर कहा- अच्छा। __रामने श्यामकी इस कार्रवाईको नासमझी ही समझा है। रामके चेहरेपर प्रसन्नता है और उसने मेम-साहबवाले अपने खिलौनेको विशिष्ट रूपसे सामने कर लिया है। __रामके घरमे सब लोग खिलौनोंसे खुश हुए है। उसके बाद वे खिलौने टूट-फटके लिए लापरवाहीसे छोड़ दिये गये है। उसी भाँति फुलझड़ियों से जलते वक्त भाँति-भाँतिकी रंगीन चिनगारियाँ छूटी है । जलकर फिर फुलझड़ियाँ समाप्त हो गई है।
उधर यही सब श्यामके घर भी हुआ है । पर इसके बाद श्याम अपने रंगीन कागजोंको लेकर मेहनतके साथ उसके कन्दील बनानेमें लग गया है। ___ यहाँ स्पष्ट है कि श्यामके उन चार आनोंका खर्च खर्च नहीं है, वह पूँजी (= investment ) है।
अब कल्पना कीजिए कि श्यामकी बनाई हुई कन्दीलें चार आनेसे ज्यादहकी नहीं बिकीं। कुछ कागज खराब गये, कुछ बनानेमें