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भरोसा अब भी कायम था। ताज्जुब है, क्यों कायम था, क्यों उठ नहीं चुका था । वह बिना पैसा पाये आसानीसे डिब्बा न छोड़ते थे। इस डिब्बेसे वह डिब्बा और फिर अगला डिब्बा और फिर अगला और___ अजब हैरानी तो यह है कि मैं उन्हें देखकर फिर भी देखता ही रह गया । क्यों नहीं उधरकी खिड़की चढ़ाकर मैं अपना अंग्रेजी जासूसी नाविल पढ़ने लगा ! सचमुच ख्याल आता है कि इतनी ज़रा-सी समझ मुझे उस वक्त क्यों न हुई ! नाविल मजेदार था
और हिज़ लार्डशिपके कत्लका भेद कुछ इस तरीकेसे खुलता जाता था कि हर लेडीशिप परेशान थीं और अगलब था कि कलमें मुद्दई यानी हर लेडीशिपकी शरकत ही न साबित हो जाय ! नाविलके उस संगीन मामलेको छोड़कर इधर इन वाहियात भिखमंगे लड़के लड़कियोकी बदनसीबी देखनेमें लग जाना सरासर हिमाकत थी, लेकिन फिर भी मै उस तरफ़ क्यों देखता रह गया, यह ताज्जुब है।
आखिर वे मेरे डिब्बेके नीचे ही आ खड़े हुए। मैंने झिड़क कर कहा-हटो, हटो!
-बाबू, तुम्हारे लड़के-बच्चे जियें ! बाबू, तुम्हें राजपाट मिले। । बाबू, तुम्हारी नौकरी बढ़े ! बाबू, तुम्हें धन मिले ! बाबू, एक पैसा!'
मैने कहा-यह सेकिंड क्लास है ! हटो, हटो!!
-बाबू , तुम्हारे औलाद-पुत्तर जियें ! बाबू, तुम्हें धन मिले। तुम्हें राज्य मिले ! नौकरी बढ़े ! बाबू, एक पैसा! ___ मैंने झिड़ककर कहा-क्या है ! भीख माँगते शर्म नहीं आती है ! आगे बढ़ो, आगे बढ़ो! १४०