________________
सबब क्या है ? यह सही है कि भिखमंगे नहीं होने चाहिए। लेकिन, यह सही क्यों है कि अगर भिखमंगे हैं तो मुझे परेशान होना चाहिए, मेरा क्या जिम्मा है ! मैं तो भिखारी नहीं हूँ। मेरे पास तो पैसा है और मैं तो चैनसे रह सकता हूँ। फिर रहें भिखारी तो रहें। मेरा उनसे क्या सरोकार है ? क्या वास्ता है ?
लेकिन, सवाल तो असल यही है कि मैं जानता हूँ, ताहम मै परेशान हूँ। आखिर किस वजहसे परेशान हूँ ! सबब क्या ? अलीगढ़ स्टेशन अब कोसों दूर गया । मै नई दिल्लीकी कोठीमें हूँ। यहाँ बीबी है, बच्चे है, लायब्रेरी है, दोस्त-अहबाब है, सिनेमातमाशे है । तब फिर मेरा दिल आराम क्यों नही पा रहा है? ___ क्या मै समझता हूँ कि मेरा एक पैसा हालातमें कुछ भी फ़र्क डालेगा ! पैसा न देता तो क्या कोई खास ख़राबी हो जाती ! ताहम एक पैसा मैने निकाल फेंका, वह क्यों ?
सवाल यही है कि क्यों मै पैसा दे छूटा ? भिखमंगा मेरा कौन था ? कौन है ? किस इख्तियारसे, किस हकसे, वह मेरे दिलके सकूनमें दखलन्दाज़ होता है !
क्यों कर उसे यह जुरअत है ? क्यों वह मेरे दिमागका पीछा करता है ? किसने उसे यह इजाजत दी ? क्यों उन्हें कोई जेलखानेमें बन्द नहीं कर देता ? -मेरी, आँखोंसे दूर रहें। लेकिन, क्या जेलखाने में होकर मुझसे दूर वह हो 'जाएँगे ! हकीकतन, हो जाएँगे !
जी हाँ,-सवाल यह है । यह सवाल बड़ा है और मुझे परेशान कर रहा है। यही मुझमें भरा है और इस वक्त मैं आपकी कहानीवहानी कुछ नहीं जानता।
१४२