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साहब नमस्ते । मिलकर भाग्य धन्य हुए। मेरे बहनोईका भतीजा इस साल लॉ फाइनलमें है। मेरे लायक खिदमत हो तो बतलाइए । जी हाँ, आपहीकी कोठी है। कमी पधारिएगा। अच्छा जी नमस्ते, नमस्ते नमस्ते ।'
इस हर्षोद्गारपर मै प्रसन्न ही हो सकता था। किन्तु, मुझे लगा कि बीचमे वकीलताके आ उपस्थित होनेके कारण दोनोंकी मित्रताकी राह सुगम हो गई है। ___ यह तो ठीक है । डॉक्टर या वकील या और कोई पेशेवर होकर व्यक्तिकी मित्रताकी पात्रता बढ़ जाय इसमें मुझे क्या आपत्ति ? इस संबंधमें मेरी अपनी अपात्रता मेरे निकट इतनी सुस्पष्ट प्रकट है,
और वह इतनी निविड़ है कि उस बारेमें मेरे मनमें कोई चिंता ही नहीं रह गई है । लेकिन, मुझे रह-हकर एक बातपर अचरज होता है। प्रश्न जो पूछा गया था वह तो यह था कि, 'आप क्या करते है ?' उत्तरमें डाक्टर और वकीलने कहा कि वे डाक्टर और वकील हैं । मुझे अब अचरज यह है कि उन प्रश्नकर्ता मित्रने मुड़कर फिर क्यो नहीं पूछा कि, 'यह तो ठीक है कि आप डाक्टर
और वकील है । आप डाक्टर रहिए, श्राप वकील रहिए । लेकिन, कृपया, आप करते क्या है ?
समझमें नहीं आता कि प्रश्नकर्ता मित्रने अपने प्रश्नको फिर क्यों नहीं दोहराया, लेकिन, मतिमूढ़ मैं क्या जानूँ ! प्रश्नकर्ता तो मुझ जैसे कमसमझ नहीं रहे होंगे । इसलिए, डाक्टर और वकीलवाला जवाब पाकर वह असली भेदकी बात समझ गये होंगे । लेकिन, वह असली बात क्या है।