________________
आप क्या करते हैं?
खैर, इन उदाहरणोंसे कामकी सीख लेकर मै आगे बढ़ा । राहमें एक सदभिप्राय सज्जन मिले जिन्होंने पूछा---
'आपका शुम नाम ?' 'दयाराम ।' 'आप क्या करते हैं !' 'मैं कायस्थ हूँ, श्रीवास्तव ।' 'जी नहीं, आप करते क्या है ?'
'मै श्रीवास्तव कायस्थ हूँ। पाँच बजे उठा था, छः बजे घूम कर लौटा, फिर...और फिर...'
लेकिन, देखता क्या हूँ कि वह सजन तो मुझे बोलता ही हुआ छोड़कर आगे बढ़ गये है, पीछे घूमकर देखना भी नहीं चाहते । मैंने अपना कपाल ठोक लिया। यह तो मै जानता हूँ कि मै मूढ़ हूँ। बिलकुल निकम्मा आदमी हूँ। लेकिन, मेरे श्रीवास्तव होनेमें क्या गलती है ? कोई वकील है, कोई डाक्टर है। मै वकील नहीं हूँ, डाक्टर भी नहीं हूँ। लेकिन, मैं श्रीवास्तव तो हूँ। इस बातकी तसदीक दे और दिला सकता हूँ। अखबार वाले 'दयाराम श्रीवास्तव' छाप कर मेरा श्रीवास्तव होना मानते है । मतलब यह नहीं कि मेरी श्री वास्तव है, न यही कि कोई वास्तव श्री मुझमे है। लेकिन जो मेरे पिता थे वही मेरे पिता थे । और वह मुझे अकाटय रूपसे श्रीवास्तव छोड़ गये हैं। जब यह बात बिलकुल निर्विवाद है तो मेरे श्रीवास्तव होनेकी सत्यताको जानकर नए परिचित वैसे ही आश्वस्त क्यों नहीं होते जैसे किसीके वकील या डाक्टर होनेकी सूचनापर आश्वस्त होते हैं।
१२७