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आप क्या करते हैं ? जब पहले पहल दो व्यक्ति मिलते है तो परस्पर पूछते है, 'आपका शुभ नाम ?' नामके बाद अगर आगे बढ़नेकी वृत्ति हुई तो पूछते है, 'आप क्या करते है ?'
'क्या करते हैं !' इसके जवाबमें एक दूसरेको मालूम होता है कि उनमेंसे एक वकील है, दूसरा डाक्टर है। इसी तरह वे
आपसमे दूकानदार, मुलाजिम, अध्यापक, इंजीनियर आदि आदि हुआ करते हैं।
पर इस तरहके प्रश्नके जवाबमें मै हक्का-बक्का रह जाता हूँ। मैं डाक्टर भी नहीं हूँ, वकील भी नहीं हूँ, कुछ भी ऐसा नहीं हूँ जिसको कोई संज्ञा ठीक ठीक ढंक सके । बस वही हूँ जो मेरा नाम है। मेरा नाम दयाराम है तो दयाराम मै हूँ । नाम रहीमबख्श होता तो मैं रहीमबख्श होता । 'दयाराम' शब्दके कुछ भी अर्थ होते हों, और रहीमबख्श'के भी जो चाहे माने हों, मेरा उनके मतलबसे कोई मतलब नहीं है । मै जो भी हूँ वही बना रहकर दयाराम या रहीमवख्श रहूँगा । मेरा सम्पूर्ण और सच्चा परिचय इन नामोंसे आगे होकर नहीं रहता, न भिन्न होकर रहता है। इन नामोंके शब्दोंके अर्थतक भी वह परिचय नहीं जाता। क्योंकि, नाम नाम है, यानी, वह ऐसी वस्तु है जिसका अपना आपा कुछ भी नहीं है। इसलिए, उस नामके भीतर सम्पूर्णतासे मैं ही हो गया हूँ।
खैर, वह बात छोड़िए । मुझसे पूछा गया, 'आपका शुभ १२२