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नेहरू और उनकी 'कहानी'
उदार, लिबरल लोग बूढ़े हैं । ये क्रान्तिकारी लोग बच्चे है। होमरूलमें क्या है ? समाज-सुधारसे न चलेगा। ये छोटे छोटे यत्न क्या काम आयेंगे? अरे! कुछ और चाहिए, कुछ और !-बैरिस्टर जवाहरकी सम्पन्नता और उसकी पढ़ाईने उसमे भूख लहकाईकुछ और, कुछ और !! __और जवाहरलालको वह 'कुछ और' भी मिला । स्वप्न चाहता
था, वह स्वप्न भी मिला ! जवाहरलालको गाँधी मिला!! ____ जवाहरलालने अपने पूरे बलसे गाँधीका साथ पकड़ लिया । साथ पकड़े रहा, पकड़े रहा। पर गाँधी यात्री था। जवाहरने अपने रास्तेपर गॉधीको पाया हो और, इस तरह, उसे अपने ही मार्गपर गाँधीका साथ मिल गया हो, ऐसी तो बात नहीं थी । इसलिए, थोड़ी ही दूर चलनेपर जवाहरलालके मनमें उठने लगा, ' हैं, यह क्या ' मैं कहाँ जा रहा हूँ ? क्या यही रास्ता है ? यह आदमी कहाँ लिये जा रहा है ! हैं, यह आदमी सच्चा जादूगर भी है ! लेकिन, मुझे तो सँभलना चाहिए।
गाँधीका साथ तो पकड़े रहा, लेकिन, शंकाएँ उसके मनमें गहरा घर करने लगी। लेकिन, जब साथ पकड़ा, तो छोड़नेवाला जवाहरलाल नहीं । हो जो हो। और वह अपनी शंकाओंको अपने मनमें ही घोंट घोट कर पीनेका यत्न करने लगा। ___ उसके मन में क्लेश हो आया । शंकाएँ दाबे न दबती थी। उसने
आखिर लाचार हो जादूगर गाँधीसे कहा-ठहरो, ज़रा मुझे बताओ कि यह क्या है ! और वह क्या है ! आओ, हम ज़रा ठहर कर सफ़रके बारेमें समझ-बूझ तो लें।
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