Book Title: Jain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Author(s): Mishrimalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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विश्व के क्षितिज पर छाये सर्वनाश के नए मानव
जीवन पर भय एव लोभ के
टो हो ।
पात्र में नष्ट करदेनेोक्ति
[ २३}
area के प्रवर्तक
fare मुनि श्री सुशीलकुमार जो महाराज
जैन बा राम तप का विज्ञान है, प्रभु महावीर का जीवन तपना साम्रात् जीवन्त रूप है, प्रकृति विजय एप दर्शन की कुजी भी तप ही है।
अनन्तराम चया aft के aeraita re के fare श्री मगर गरी जी महाराज ने विकार जगत् पर
है।
अनन्त
मेरे मन में अनेक बार धर्म साहित्य में
ब
नाम को सालिन करते नपा करने का विर
भाता रहा है। भारतीय
जैन हत्य
पीविनामको व्यकि
थी।
पर जो महाराज के प fa
वृति
***F!
५
आतार,
मानवी अनुभव दिन माना
सेवित हो।मेरो श्रीमहा
नेपालको मायके
पाता है।
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वाद को खेर भी
1), tak froga kan mest vaz
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