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* मंगल कामना *
आत्मप्रिय...अनुजा...प्रियवंदनाश्रीजी ज्ञानाभिनंदन... आज खुशियों ने दी दस्तक...हार्दिक बधाई! हवा में नयी खुशबू बिखराता...अनमोल पल है आया। आसमां में ज्ञानोदय का कुंकुम अनेरा छाया। नई उमंगे...नई तरंगे...नये भविष्य का पैगाम लाया। तुम्हारा संजोया सपना आज यथार्थ धरातल पर उतर आया। (द्वय) गुरुवर्या श्री के आशीर्वाद से...शोधग्रंथ का प्रणयन लगन से पूर्ण किया। ज्ञान...ध्यान...तप...त्यागमय घृत से...लेखन को है सजाया। अमूल्य धरोहर अर्पणकर...सामाजिक दायित्व बखूबी निभाया। दृढ़ निष्ठा...निर्णय...क्षमता अनेरी तुम में है पायी। तुम में सरल...सहज...गाम्भीर्य गुणों की गागर समायी। संयम से अनुप्राणित हो...साथ-साथ शिक्षा यात्रा जारी रही। शोध प्रबंध का सर्जन कर...पीएच.डी. की उपाधि पाई। अध्ययनप्रियता...स्वाध्याय रूचि को...अभिव्यक्त कर तुमने दिखाया। श्रुत सागर में डुबकी लगा...अनूठी प्रतिभा को स्फुरित किया। मूर्धन्यमनीषी डॉ. सागरमलजी का सफल...निश्चल निर्देशन पाया। जीवन फिजाओं में शोध ग्रंथ प्रकाशन का सावन है आया। समत्व साधना के सूरों से...अन्तरंग माधुर्य के साज सजे। गुरु बहना करती मंगल कामनाएँ...हर कल्पना साकार बने। साहित्य जगत में प्रगति करें...शासन सेवा में निरन्तर बढ़े। आत्म लक्षी बनकर के...सिद्धत्व उजास की प्राप्ति करें। यही शुभेच्छा.../
शुभाकांक्षिणी साध्वी प्रियस्मिताश्री
साध्वी प्रियलताश्री एवं समस्त भगिनी मंडल
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