Book Title: Jain Bal Bodhak 04
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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जैनवालवोधकसंतानकी उत्पत्ति होनेके साथ ही मर जाते थे परंतु अब इनके समयमें मातापिता संतानकी उत्पत्ति होनेके क्षण भर बाद मरने लगे सो इन्होंने सव समझाया कि संतान क्यों होती है ?
इनके असंख्यात करोड वर्षवाद नवमे कुलकर यशस्वान् नामके हुये। इनके समयमें मातापिता कुछ समय संतानके साथ उहर कर मरने लगे। इन्होंने संतानको आशीर्वादादि देनेकी विधि बताई।
इनके पश्चात् असंख्यात करोड वर्षवाद दशवे मनु अभिचंद्र हुये । इनके समयमें प्रजा अपनी संतानके साथ क्रीडा करने लगी थी। इन कुलकरने क्रीडा करने वा संतान पालनेको विधि बतलाई थी। .
इनके सैकडों वर्षवाद चंद्राभ नामके ग्यारहवेंकुलकर उत्पन्न हुये । इनके समयमें प्रजा संतानके साथ पहिलेसे और भी अधिक दिनों तक रह कर मरने लगी। ___ इनके पश्चात् वारहवें कुलकर मरुदेव नामके हुये। उस समय की व्यवस्था सब इनके ही अधीन थी। इन्होंने जलमार्गमें गमन करनेके लिये छोटी वडी नाव चलानेका उपाय बताया, पहाडों पर चढनेके लिये सीढियां बनाना बताया। इन्होके समयमें छोटी चडी कई नदियां और उप समुद्र उत्पन्न हुये (मेघभी न्यूनाधिक • रीतिसे बरसने लगे) यहां तक स्त्री और पुरुष दोनों युगल उत्पन्न होते थे।
इनके कुछ समय बाद तेरहवें प्रसेनजित नामके कुलकर हुये। इनके समय संतान जरायुसे ढकी हुई उत्पन्न होने लगी। इन्होंने