Book Title: Jain Bal Bodhak 04
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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चतुर्थ भाग । १९. षद्रव्योंके विशेषगुण।
१ । जिसमें चेतना गुण पाया जाय उसको जीवद्रव्य कहते हैं।
२। जिसमें स्पर्श, रस, गंध और वर्ग पाये जाय उसको पुदगल कहते हैं । पुदगलके दो भेद है । एक परमाण दूसरा स्कंध । ३। सबसे छोटे पुदगलको परमाणु कहते हैं ।
अनेक परमाणुओं के बंध (पिंड ) को स्कंध कहते हैं। . ५अनेक चीजोंमें एकपनेका छान करानेवाले सबंध विशेष को बंध कहते हैं।
६। आहार वर्गणा, तैजसवर्गणा, भापावर्गणा, मनोवर्गणा, कार्माणवर्गणा आदि २२ प्रकारके स्कंध होते हैं।
७। औदारिक क्रियिक, आहारक, इन तीन शरीररुप परिणमै उसको श्राहारवर्गणा कहते हैं।
८। मनुष्य तिर्यचके स्थूल शरीरको औदारिक शरीर कहते हैं।
जो छोटे वडे.एक अनेक आदि नाना क्रियायोंको करै ऐसे देव नारकियोंके शरीरको वैक्रियिक शरीर कहते हैं।
१०। छठे गुणस्थानवार्ती मुनिक तत्वोंमें कोई शंका होनेपर केवली वा श्रुतकेवलीके निकट जानेके लिये मस्तकमसे एक हाथका पुतला निकलता है उसको पाहारक शरीर कहते है