Book Title: Jain Bal Bodhak 04
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha

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Page 373
________________ पृषक २ पटानी परती हैं तो हमने इन विषयोंका इन भार्गामही यथास्थान पर समावेश कर दिया है जिससे कोई पुस्तक हुसन पढार इस एक प्रस्तकके पदानेसे ही सगस्त विषयों का ज्ञान प्राप्त हो जायगा। हो । हिंदी यावरण व गणित मान जुदा अवश्य पढाना पड़ेगा और भंगरेजी पदामा हो तो इस चौधेभागको पाने के बाद मरकतकी प्रवेशिकादि कक्षाओं में । पाना ठीक होगा। . . ये सब विषय हमने बंबई जैन धूनिवर्सिटी वा मालमा प्रांतिक.जैन यूनिवासी और गोपालजैनसिद्धांतविद्यालयके पठन क्रमानुसार ही रक्के है । मतएव इन सबके पठन क्रममें इन भागोंको रखकर परीक्षा लेनेका प्रचार करेंगे तो यह भम सार्थक समझा जायगा। निवेदकमोरेना-1-६-१९१२ ई.] - पन्नालाल वाकलीवाल ।

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