________________
कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- औपदेशिक श्लोक प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है.
कुल झे.पृष्ठ-४१ औपदेशिक स्वाध्याय
उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा.४१, पाकाहेम ६१९७- पे.क्र. १, पृ. -३, जसविजयकृत स्तवनादिसङ्ग्रह, वि-१७१४, संपूर्ण पे. विशेष- पत्रांक-१ व २ नहीं है. गाथा-२३ तक नहीं है.
कुल झे.पृष्ठ-६ औपदेशिकगाथा
प्रा., पद्य, गा.८, आदि वाक्यः अणुरत्तो भविगओ.. पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. २३, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण
पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ९१ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित.
कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० औपपातिकोपाङ्गसूत्र (उववाईसूत्र)
आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., ग्रं.११६७, आदि वाक्यः तेणं कालेणं तेणं समएणं चम्पा नाम नयरी होत्था रिद्धिस्थिमिय
समिद्धापमुइयजणजाणपदा पाताहेसं १७१-१८, पृ. ?, औपपातिकोपाङ्गसूत्र सुखबोधावृत्ति सह, संपूर्ण
डीवीडी-९/१८ भांता ७३- पे.क्र.३, पृ. १२९B-१५३, औपपातिकसूत्र व वृत्ति आदि, अपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१८२. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१८२, १-१८५, १-१९०, १-१९७. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
डीवीडी-७३/८२ लिंता ३४१४-१, पृ. ९३, औपपातिकोपाङ्ग सूत्र, संपूर्ण वताकांति ४०६-१, पृ. ३५, औपपातिकसूत्र वृत्ति सह, वि-१५९५, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका गन्थाग्र-३१२५.
कुल झे.पृष्ठ-३५, डीवीडी-९७/९८ वताकांति ४०६-३, पृ. २५, उववाईसूत्र, अपूर्ण प्रत विशेष- अन्तिम मूल पत्र-२५ अने झेरोक्ष पत्र २४ नथी. मूल पत्र ३ पण नथी.
कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९७/९८ अताका ४७२, पृ. ३५, उववाई सूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- (आत्मारामजी-वडोदरा)
डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम २०७, पृ. ४४, औपपातिकउपाङ्गसूत्र, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम २१४, पृ. ४९, औपपातिकउपाङ्गसूत्र गुर्जरपर्याय सहित, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४९ पाकाहेम ६९१३, पृ. ८३, औपपातिकउपाङ्गसूत्र सटीक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मू. ग्रन्थाग्र-१,१७५ टीका ग्रन्थाग्र-३१२५.
कुल झे.पृष्ठ-८३ पाकाहेम ६९१४, पृ. ४०, औपपातिकउपाङ्गसूत्र मूल, वि-१५९०, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम १००१०, पृ. २०, औपपातिकउपाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२०
151