Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 756
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण प्रा., पद्य, गा.४१, पाकाहेम ११०१७, पृ. २, श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ , वि-१६मी, संपूर्ण भांका २९६, पृ. २, श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण, संपूर्ण डीवीडी-९१ श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७४७२, पृ. ६, श्रावकषडावश्यकसूत्र अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०१७, पृ. २, श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ , वि-१६मी, संपूर्ण श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७४७२, पृ.६, श्रावकषडावश्यकसूत्र अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०१७, पृ. २, श्रावकव्रतभङ्गप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ , वि-१६मी, संपूर्ण श्रावकव्रतभङ्गभेदसङ्ख्या , सं., पद्य, श्लोक१४, आदि वाक्यः प्रणम्य समस्तपरमार्थवस्तुविस्तारदेशकं वीरं... पुप्रे ४१८- पे.क्र. २, पृ. १६४-१६५, विशेषवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७२ श्रावकव्रतभङ्गविकल्पकुलक आचार्य-रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२, पाकाहेम ११०६५, पृ. १, श्रावकव्रतभङ्गविकल्पकुलक, वि-१६मी, संपूर्ण श्रावकव्रतारोपनन्दि (नन्दि श्रावकव्रतारोप) प्रा., पद्य, गा.१८, आदि वाक्यः चीवन्दणवन्दणयं गिहिवयउस्सग्ग पइवउव्वरणं... कृ.विः अन्तिमवाक्य-अहगहियभंगएहिं परिहरामि अईयं निंदामि शेषं पूर्वदंडकवत्. भांता ७०- पे.क्र. ४८, पृ. ५१A-५२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३५०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ श्रावकषडावश्यकसूत्र (श्रावकआवश्यकसूत्र), (आवश्यकसूत्र), (षडावश्यकसूत्र) प्रा.,सं., संयुक्त प+ग, आदि वाक्यः नमो अरहन्ताणं नमो सिद्धाणं.. पातासंघवी १९६-२- पे.क्र. १३, पृ. १९८-२२५, उपदेशमणिमाला आदि, वि-१३८८, संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवन्दनक अने प्रतिक्रमणसूत्रादि, पे. विशेष- बे स्तोत्रो पण छे ते पेटांक २०,२१ पर छे. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १, पृ. २-५, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १३, पृ. १७-२२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ पाकाहेम ६९३४, पृ. १०, षडावश्यकसूत्र, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१० पाकाहेम ७४६०, पृ. १४, श्रावकषडावश्यकसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण 739

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