Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ७१११- पे.क्र.३, पृ. ३-४, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. २३, पृ. ६२-६५, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८४ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका)
मुनि-उपाध्याय साधुरङ्ग, सं., गद्य, ग्रं.१३४१६, आदि वाक्यः नमः श्रीवर्धमानाय स्वामिने परमात्मने... भांका २०८, पृ. २१२, सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सह, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४५.
डीवीडी-८७ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका)
गणि-हर्षकुलगणि, गुरु-आचार्य-हेमविमलसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५८३, श्लोक६६००, आदि
वाक्यः प्रणम्य श्रीजिनं वीरं गौतमादिगुरूंस्तथा...
कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. भांका २६१, पृ. ७४, सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सहित, वि-१६५९, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-३८. ग्रन्थाग्र-८६००.
डीवीडी-८९ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(मा.गु.)बालावबोध
मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०५२४, पृ. ११, सूत्रकृताङ्गसूत्र वार्तिक (बालावबोध) अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-११ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(प्रा.)हिस्सा महावीरस्तवन (महावीरस्तवन), (सूत्रकृताङ्गगत महावीरस्तवन)
आचार्य-सुधर्मास्वामी, प्रा., पद्य, पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. १६, पृ. २०-२१, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण पे. नाम- महावीरस्तवन सूत्रकृताङ्गगत अध्ययन
कुल झे.पृष्ठ-१७ सूत्रकृताङ्गसूत्रपर्याय
मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०४११, पृ. २६, सूत्रकृताङ्गसूत्र प्रथमश्रुतस्कन्धपर्याय, वि-१६२७, प्रतिपूर्ण
___ कुल झे.पृष्ठ-२७ सूत्रकृताङ्गसूत्र-(सं.)टीका
सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ९५- पे.क्र. २, पृ. ?, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंही टीका, सूत्रकृताङ्गटीका व अन्य ग्रन्थों के
त्रुटक पत्र, संपूर्ण पे. विशेष- आकर्षक व सुन्दर लिपि. पत्र अस्त-व्यस्त है.
प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित सूत्रकृताङ्गसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति
आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.२०८, आदि वाक्यः तित्थयरे य जिणवरे सुत्तकरे गणहरे य नमिऊणं। पाताखेत ५३-१- पे.क्र. २, पृ. १-१८, सूयगडाङ्गसूत्रनियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक-२ त्रण वखत आपेल छे.
डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ३१-३- पे.क्र. २, पृ. ४९-५४, सूत्रकृताङ्ग मूल, नियुक्ति, वि-१४६८, संपूर्ण
डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं ३- पे.क्र. २, पृ. ४१-४५, सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१४५४, संपूर्ण
प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
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