Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 878
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती स्थविरावलीयुगल- (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २३२८- पे.क्र. ४ पृ. ८-९ वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमां मुकेली प्रति कुल झे. पृष्ठ- १० स्थानकस्तवन जुओ पत्थियसमत्थस्थानकस्तवन, प्राकृत, गा. १३ स्थानप्रकरण जुओ मूलशुद्धिप्रकरण आचार्य प्रद्युम्नसूरि प्राकृत, गा. २१४ स्थानाङ्गसूत्र (ठाणाङ्ग सुत्त) - " आचार्य सुधर्मास्वामी प्रा. ग्रं. ३३००, आदि वाक्यः सुर्य में आउसे तेणं भगवया एवमक्खायं एगे आया एगे दण्डे ... पातासंघवी ३१-२, पृ. १००, स्थानाङ्गसूत्र, संपूर्ण डीवीडी- २५/४३ पाताहेसं ८६, पृ. १८५, स्थानाङ्गसूत्र अपूर्ण, अपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहे १७१-१०, पृ. ५. स्थानाङ्गसूत्र अपूर्ण, संपूर्ण डीवीडी-२/१८ भांता ६०, पृ. २१० स्थानाङ्गसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-५९. ग्रन्थ नथी. कुल झे. पृष्ठ-७५, डीवीडी-७२/८१ पाकाम ९९९४, पृ. ६९ स्थानाङ्गसूत्र वि-१६मी संपूर्ण प्रत विशेष प्रथम पत्रमां समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. कुल झ. पृष्ठ-७० पाकाहेम १०३६३, पृ. ८६ स्थानाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८७ पाकाहेम १०४४५. पू. ११८ स्थानाङ्गसुत्र वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६७-६८ भेगां अने ८७मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-७९ पाकाहेम १०५२५, पृ. ९९ स्थानाङ्गसूत्र, वि-१५९७, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरे करडेली छे. कुल झे. पृष्ठ- १०० पाकाहेम १०५२६, पृ. ७८, स्थानाङ्गसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष - प्रथम पत्रमां समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. कुल झे. पृष्ठ-५४ पाकाहेम १०५५८, पृ. १०६ स्थानाङ्गसूत्र वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र- ४७५१ प्रति एक बाजुथी उंदरे घणी ज करडेली छे. पाकाहेम १४८४७, पृ. ६१ स्थानागसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-३७७०. कुल झे. पृष्ठ-६२ स्थानाङ्गसूत्र- (सं.) वृत्ति आचार्य अभयदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११२०, ग्रं. १४२५०, आदि वाक्यः श्रीवीरं जिननाथं त्वा स्थानाङ्गकतिपयपदानाम् ।.... कु. विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवीजीर्ण २६ पृ. ४५२ स्थानाङ्गवृत्ति, वि-१३४६ त्रुटक प्रत विशेष- अस्तव्यस्त - त्रुटक-नकामी., विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-५६/५९ 861

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