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कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १०१२९, पृ. ३९ सूत्रकृताङ्गसूत्र, वि - १५६१, संपूर्ण कुल ३, पृष्ठ-३९ झे.
पाकाहेम १०२६२, पृ. १०२ सूत्रकृताङ्गसूत्र वि-१७मी, संपूर्ण
प्रत विशेष प्रति पाणीमां भीजाईने चोटी गयेल छे.
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कुल हो. पृष्ठ - १०२
पाकाहेम १०३५४, पृ. ४७ सूत्रकृताङ्गसूत्र, वि - १५९९, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४८
पाकाहेम १०४५८, पृ. ८५, सूत्रकृताङ्गसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८५
पाकाहेम १०५२१, पृ. ५४, सूत्रकृताङ्गसूत्र, वि - १५४६, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५४
पाकाहेम १०५२२, पृ. ६५ सूत्रकृताङ्गसूत्र, वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६६
पाकाहेग १०५२३, पृ. ८७ सूत्रकृताङ्गसुत्र वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-८७ झे.
भांका २०८ पृ. २१२ सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सह संपूर्ण
प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-४५.
डीवीडी-८७
भांका २६१, पृ. ७४, सूत्रकृताङ्गसूत्र दीपिका सहित वि-१६५९, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-३८. ग्रन्थान- ८६००.
डीवीडी-८९
सूत्रकृताङ्गसूत्र- (प्रा.) निर्युक्ति
आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.२०८, आदि वाक्यः तित्थयरे य जिणवरे सुत्तकरे गणहरे य नमिऊणं । पाताखेत ५३-१- पे.क्र.२ पृ. ११८ सूयगडाङ्गसूत्रनिर्युक्ति, संपूर्ण
प्रत विशेष झेरोक्ष पत्रांक-२ त्रण वखत आपेल छे.
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डीवीडी-६२/६४
पातासंघवी ३१-३- पे.क्र. २, पृ. ४९-५४, सूत्रकृताङ्ग मूल, निर्युक्ति, वि - १४६८, संपूर्ण
डीवीडी २५/४३
पाताहे ३- पे.क्र. २, पृ. ४१-४५ सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१४५४, संपूर्ण
प्रत विशेष - विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
डीवीडी-१/११
पाकाहेम ९९९० पे. क्र. २ पृ. ४४-४९ सूत्रकृतागसूत्र आदि वि-१६मी संपूर्ण
प्रत विशेष- प्रथम पत्रमां आचार्य व्याख्यान आपे छे अने चतुर्विध संघ श्रवण करे छे ते भावने सूचवतुं सुन्दर चित्र छे.
कुल झ. पृष्ठ-४९
पाकाहेम १०४५९, पृ. ३ सूत्रकृताङ्गसूत्र नियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- गाथा - २०५.
कुल झै. पृष्ठ-४
पाकाहेम १०४६० पे. क्र. १ पृ. १५ सूत्रकृताङ्गसूत्र नियुक्ति तथा वृत्ति, वि-१५२७, संपूर्ण
कुल झे. पृष्ठ-७
कुल डी. पृष्ठ- २३७
पाकाहेम १४८६२, पृ. ७, सूत्रकृताङ्गसूत्र निर्युक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण
सूत्रकृताङ्गसूत्र (प्रा.सं.) चूर्णी
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