Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 873
________________ डीवीडी-२४/४२ तालाद ३१६, पृ. ६४, सूर्यप्रज्ञप्ति, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६४, डीवीडी- ९३/९५ पाकाहेग ६५७६, पृ. ३१ सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि-१५मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३१ पाकाहेम १००२२, पृ. ४२, सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि - १५७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमां समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे., कुल झ. पृष्ठ-४२ पाकाहेम १०४१८ पृ. ४८ सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-२१७०. कृति उपरथी प्रत माहिती कुल डी. पृष्ठ-४८ पाकाहेम १०४७३, पृ. ४१ सूर्यप्रज्ञप्तिउपागंसूत्र वि-१५०३. संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- १८५४. कुझे पृष्ठ-४१ पाकाभामा १९ पृ. ३९. सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र, वि-१७वी संपूर्ण पुझे ४११ पृ. १३२, सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रास्ताविक ३ पत्र अलग से. कुल झे. पृष्ठ- १३२ सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र-(सं.) वृत्ति , आचार्य मलयगिरिसूरि, सं. गद्य नं. ९१२५, आदि वाक्यः यथास्थितं जगत्सर्वमीक्षते यः प्रतिक्षणम् ।.... पातासंघवी २६- पे क्र. २, पृ. १-२३७, सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र टीका, वि-१४८१, संपूर्ण डीवीडी-२४/४२ भांता ५५ पृ. २, सूर्यप्रज्ञप्तिटीका, वि-१३८९, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२३५. पृष्ठ माहिती अप्राप्य. - डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम ६५३८, पृ. १२१ सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्रवृत्ति, वि- १४९३, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- १२७ पाकाहेम ६५७७, पृ. ११४, सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१४८४ संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र- ९५००. पत्र ६७मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ ११४ पाकाहेम १००२३, पृ. १४३ सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र टीका, वि-१५७२, संपूर्ण प्रत विशेष - ग्रन्थाग्र - ९५०० प्रथम पत्रमां समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे. पत्र ६२-६४ भेगां छे. कुल झे. पृष्ठ- १४४ पाकाहेम १०४७४, पृ. १६५, सूर्यप्रज्ञप्तिउपागंसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक - ९५००. कुल झे. पृष्ठ- १६६ पाकाभाभा १८, पृ. १६९, सूर्यप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१७वी संपूर्ण सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र-(सं.) वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ९१२५, आदि वाक्यः यथास्थितं जगत्सर्वमीक्षते यः प्रतिक्षणम् । ... पातासंघवी २६- पे.क्र. २, पृ. १- २३७, सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र टीका, वि-१४८१, संपूर्ण डीवीडी-२४/४२ भांता ५५, पृ. ?, सूर्यप्रज्ञप्तिटीका, वि-१३८९, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १ २३५. पृष्ठ माहिती अप्राप्य. डीवीडी-७२/८१ 856

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